आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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सर जी , पिछले हफ्ते आँख दिखाने गयी थी ,और नया चश्मा भी बनकर आया है और मैं तो चौंक उठी जब रायसाहब ने कहा कि मेरे चश्मे का नंबर भी पौने दो हो गया है .
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सर जी , विषय पर लेखन सन्दर्भ में हम सबके तरफ से यह विनम्र निवेदन है कि आप जल्द से जल्द इस पर भी एक आलेख जारी करेंगे ताकि हम सब सह -लेखक मार्गदर्शन पाकर अगले गोष्ठी में विषय पर सचेत होकर लेखन कर सके .सादर अभिनन्दन __/\__/\__/\__
आ कांता जी , ये पंक्तियां आपकी रचना को विशिष्ट बना रही हैं : / समय की पिटारी का ढकना खुलते ही अजगर मुँह लपलपाने लगा // " एक मिनट रूको , आsक थू ! ....जाओ ,अब फेंक आओ इसे " / मजा आ गया फेंक के तो आओ मगर आsक थू के बाद। पंजाबी सूफी कवि बुल्ले शाह की पंक्तियां याद आ रही हैं " बुल्ले शाह आदतां ना जाँदियां , भांवे कटिेए पोरी पोरी " बहुत खूब कांता जी। तेरा तुझको अर्पण से तेरा तुम्हारा याद रह जाता है , आदरणीया।
पहली बात लघुकथा की और दूजी ये कि जहां मेरे साथी वहाँ मैं ना होऊं ऐसा तो हो ही नहीं सकता है आदरणीय शहजाद जी , इस बार कथा नहीं लिख पाई थी इसलिए मुश्किल थी मेरी सहभागिता कथा सन्दर्भ में ,लेकिन शाम को हठात ये प्रसंग कौंध गया और मैं लघुकथा लेकर उपस्थित हो गयी .
// देश में महिलाओं के साथ बढ़ रहे अपराधों का एक कारण यह भी है कि महिलाओं द्वारा // आsक-थू// जैसे शब्द या वाक्यांश ऐसे दुर्जन पुरुष से बोलना । क्या कोई अपशब्द के बिना अभिव्यक्ति नहीं हो सकती?// ----दरअसल बिना "आsक-थू " के रचना में मन की वितृष्णा का उभार असंभव था क्योकि जब किसी स्त्री के ऊपर चारित्रिक लांछन लगता है तो वो नफरत के पराकाष्ठा से गुज़रती है याद कीजिये कि ऐसी ही परिस्थितियों के कारण इतिहास में "महाभारत " जैसा युद्ध रच दिया गया था .
रचना पर आकर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए ह्रदय से आभार आपको . सादर
आत्म शक्ति को दर्शाती बेहद सुन्दर और प्रभावी रचना, आ. कान्ता जी,
कथा पर मेरा मनोबल बढाने के लिए आभार आपको आदरणीया महिमा जी
रचना पसंदगी हेतु ह्रदय से आभार आपको आदरणीय ओमप्रकाश जी
हार्दिक बधाई आदरणीय कांता रॉय जी ! बेहतरीन प्रस्तुति !
//समय की पिटारी का ढकना खुलते ही अजगर मुँह लपलपाने लगा । विषाक्त अनुभूतियाँ बदबदाती हुई बाहर आ चुकी थी // आहत स्त्री जब अपने पे आजाये तो क्या नहीं कर सकती , इस कथा की इंटेंसिटी बहुत जबरदस्त है बधाई प्रेषित है आपको आदरणीया कांता जी
आदरणीया कांता जी, बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने. हार्दिक बधाई. यह भी अवश्य है कि तू, तुम, तुम्हें, तुझे, तेरे आदि आपस में गडमड हो रहे हैं. कृपया व्याकरण की दृष्टि वाक्य-विन्यास देख लीजियेगा. सादर
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