आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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बढ़िया कथा हुई है आदरणीय डॉ टी आर शुक्ला जी | बधाई स्वीकारें |
अादरणीया , कथा पसंद करने लिए बहुत धन्यवाद।
किंकर्तव्यविमूढ़
पीं..पींपीं,,पीं ..”अबे उड़ कर जाएगा क्या अँधा हो गया आगे पूरा जाम है कैसे बढाऊँ गाड़ी” अगली गाड़ी के ड्राईवर ने खिड़की से मुंडी निकाल कर उसे डाँटते हुए कहा|
पीं ..पीं.. पीं करते हुए उसने आखिरकार अपना टेम्पो भिड़ा ही दिया |
अगली गाड़ी से दनदनाता हुआ साहब निकल कर उसके पास आया और बोला “पागल है क्या तू समझ नहीं आ रहा पांच किलोमीटर लम्बा जाम बता रहे हैं एक इंच भी कहीं जगह नहीं है गाड़ी निकालने को उस पर तेरी ये हिम्मत की टक्कर मार दी मेरी गाड़ी को” कहते हुए जैसे ही साहब उसकी ओर आगे बढ़ा वो गुस्से में आग बबूला होकर बोला-
“हाथ मत लगा देना साहब फोड़ के रख दूँगा अभी मेरा भेजा सटक रहा है जी करता है एक चिंगारी लगा दूँ एक मिनट में सब स्वाह | आज अगर किसी नेता की वजह से ये जाम लगा है तो उस नेता को भी गोली मार दूँगा” कहते हुए आगे जाकर हर किसी गाड़ी को पीटता हुआ जोर-जोर से पूछने लगा
“अरे कोई डॉक्टर है क्या?? मेरी माँ मर रही है कोई तो आओ वो मर जायेगी कैसे ले जाऊँ अस्पताल हे भगवान कोई तो रहम करो” कहता हुआ कभी अपने बाल नोचने लगता कभी गुस्से में गाड़ियों को ठोकर मारने लगता इस तरह थोड़ी दूर निकल गया फिर अचानक दौड़ कर अपने टेम्पो के पास आकर देखा तो वहाँ माँ को गायब देख विक्षिप्त सा होकर आगे भागने ही वाला था कि अचानक अगली गाड़ी के खुले दरवाजे पर निगाह गई वही साहब उसकी माँ की छाती को हाथ से पम्प कर रहा था उसके कुछ बोलने से पहले ही ड्राइवर ने कहा-
“साहब हिमालयन हॉस्पिटल के कार्डियो लोजिस्ट हैं घबरा मत सब ठीक हो जाएगा”|
सुनते ही उसके आक्रोश के ज्वाला मुखी का लावा आँखों से आँसू बनकर बहने लगा |
कुछ प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर ने कहा-
“माँ को मेरे हॉस्पिटल ले चलो”
“पर साहब मैं तो सरकारी अस्पताल में ले जा रहा था मेरे पास इतने पैसे ...”
“उसकी चिंता मत कर लड़के की बात बीच में ही काटकर डॉक्टर ने कहा |
“साहब मैं अपने व्यवहार अपने गुस्से पर शर्मिंदा हूँ मुझे माफ़ कर दो” कह कर लड़का पैरों में गिर पड़ा|
“ तुम्हारा आक्रोश अपनी जगह सही था...मैं समझ सकता हूँ मेरी भी माँ है”
मौलिक एवं अप्रकाशित
आद० उस्मानी जी, आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ |
वाह राजेश जी आप ने कमाल कर दिया. भावनात्मक रूप से बहुत ही शानदार लघुकथा रची है. बधाई इस के लिए. काश ! ऐसा होने लग जाए.
आ० ओमप्रकाश जी ,आपकी प्रतिक्रिया ने मेरा लेखन कर्म सार्थक कर दिया .दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ |
वाह बहुत ही खूबसूरती से सारे भाव समेट लिए आपने तो।पढ़कर बहुत अच्छा लगा।बेहतरीन कृति ।बहुत बधाई।सादर
प्रिय राहिला जी, तहे दिल से बहुत बहुत आभार आपका |
आए दिन जाम की समस्या से जूझते ऐसे दृश्य देखने को मिल जाते हैं, बहुत खूबसूरती से भावनात्मक जाल बुन, एक सकारत्मक लघुकथा की रचना की है आपने आ. राजेश कुमारी जी।साधुवाद
आ० डॉ० नीरज शर्मा जी ,लघु कथा आपको पसंद आई आपका दिल से बहुत बहुत शुक्रिया |
प्रदत्त विषय को भली भातिं उभारती कथा पर बधाई आ० राजेश दीदी.
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