आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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हृदय तल से बहुत- बहुत आभार प्रिय सीमा जी |
दुःख से द्रवित इंसान दुनिया को दुश्मन समझने लगता है , सड़क हादसों में लोगों की असंवेदनशीलता भी जग जाहिर है , कथा को एक सकारात्मक अंत देना आपकी सोच की गहनता दर्शाता है अच्छे लोग आज भी जरूर हैं ,पर ये भी सच है कि बहुत कम हैं ..हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको इस सार्थक प्रस्तुति पर आदरणीया राजेश कुमारी जी
प्रिय प्रतिभा जी ,लघु कथा के मर्म पर अपने विचारों से अनुमोदन करने के लिए दिल से बहुत बहुत आभार | ये सच है कि आज दुनिया में वक़्त पड़ने पर दूसरों की मदद के लिए विरले ही हैं किन्तु मैं समझती हूँ असंवेदनहीनता पर हम इतना कुछ लिखते हैं तो उन विरले लोगों पर भी हमे लिखना चाहिए जिससे लोगों में भी सकारात्मकता का भाव जागृत हो इसी लिए मैं अधिकतर अपनी लघु कथाओं में इस तरह के सकारात्मक मोड़ देती हूँ|आपको ये प्रयास पसंद आया मेरा श्रम सफल हो गया |
हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी! बहुत सुंदर लघुकथा! विषय को चरितार्थ करती मार्मिक एवम हृदय स्पर्शी प्रस्तुति!
आद० तेजवीर सिंह जी ,आप जैसे रचनाकार से सराहना पाना एक पारितोषिक के समान है \
आपका दिल से बहुत- बहुत आभार |
लघु कथा की सराहना तथा अपने विचारों से मर्म का अनुमोदन करने के लिए दिल से आभार आ० नीता कसार जी |
विपरित परिस्थीतियो में इंसान अक्सर अपना आप खो बैठता है .दरअसल यही उसकी परीक्षा की घडी भी होती है . यहाँ आक्रोश की वजह माँ थी जो जायज भी था .आये दिन नेताओं की गाड़ियों का रेला और उससे त्रस्त जनता ! आपकी इस लघुकथा में कई विसंगातियो ने अपना विस्तार स्वत: ही ले लिया है . मानवीय मूल्यों से सामंजस्य बिठाती डॉक्टर द्वारा सकारात्मक पहल कथा को साकार कर जाती है हालाँकि आज के दौर में ऐसी परिस्थिति अपवाद बन कर रह गयी है . लेकिन हमको अपनी लेखनी के माध्यम से इन अपवादों को सहज जीवन में निरंतरता बनाने की ओर स्थापित करना है .बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया राजेश जी इस सार्थक रचनाकर्म के लिए .
आद० कांता जी लघु कथा की इतनी विस्तृत समीक्षा तथा अपने बहुमूल्य विचारों से मर्म के अनुमोदन के लिए तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ आपकी प्रतिक्रियाएँ सर्वदा होंसलाफ्जाई करती हैं |
आ० सतविंदर कुमार भैया ,आपकी प्रतिक्रिया से हर्षित हूँ मेरा लिखना सार्थक हुआ |तहे दिल से आभारी हूँ |
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