आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
समर कबीर सा0 गोष्ठी का आगाज बढ़िया कथा से करने हेतु बधाई ।
आदरणीय समर कबीर जी, आक्रोश का अलग रूप दिखाया है आपने. ये दिखावटी आक्रोश ही समस्याओं को पैदा करता है. " ये सब हुवा इलाक़े के ग़ुंडे की गिरफ़्तारी और फिर उसके सार्वजनिक जुलूस के कारण " ये सार्वजनिक जुलूस समर्थन का था या विरोध का ये साफ़ नहीं हो पा रहा है. सादर.
जनाब शुभ्रांशु पाण्डेय जी आदाब,आपने मेरी रचना में शिर्कत की बहुत ख़ुशी हुई,सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।ग़ुण्ड की गिरफ्तारी पर ज़ाहिर है कि विरोध में ही जुलूस निकलेगा क्योंकि जो लूटपाट करने वाले हैं वो भी तो यही चाहते हैं ।
आदरणीय समर साहब, आपकी प्रस्तुति से आयोजन की शुरुआत हुई, इसकेलिए हार्दिक बधाइयाँ. आप जिस तरह से ओबीओ की मूल भावना से समरस होते जा रहे हैं वह सभी नये सदस्यों केलिए सार्थक उदाहरण की तरह होना चाहिए. कोई रचनाकार अपनी रचनात्मकता को किसी विशिष्ट विधा की परिसीमा में बाँध कर रख ही नहीं सकता. भले ही वह किसी विधा विशेष में सहज हो और उसकी रचनात्मकता उक्त विधा में अभिव्यक्ति की ऊँचाई पर हुआ करे, लेकिन साहित्य की अन्य शैलियों में भी उसकी पकड़ आशस्तिकारी हुआ करती हैं. विभिन्न विधाओं पर होता हुआ आपका सतत प्रयास अनुकरणीय है. तिसपर आपकी रचनाओं का गठन भी मुग्ध कर देता है. हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय. यह प्रस्तुति तनिक समाचार टाइप की अवश्य हो गयी है, लेकिन आपकी प्रस्तुतियों का यह शुरुआती दौर है, इसे हम नज़रन्दाज़ नहीं कर रहे.
सादर
समाचार शब्द का अन्यथा अर्थ न लें आदरणीय समर साहब. इसके माध्यम से मैं लघुकथा के कथानक में सपाटबयानी को इंगित कर रहा था. अगर मैं इस लघुकथा के बरक्स आपके प्रयास को उस लायक उच्च और गहन न समझता तो शायद उतनी बातें न करता जो हमने आपकी इस प्रस्तुति के सापेक्ष कहीं हैंं. यह आपको भी पता है, मै मुँहदेखी न कहने के कारण वैसे भी इस मंच पर बहुत प्रिय सदस्य नहीं रहा हूँ कभी. अतः आपकी चर्चा यदि सकारात्मक ढंग से करता हूँ तो यह आपका आग्रही और सतत अभ्यास ही है. आप जिस गहनता से अपनी रचनाओं पर कोशिश करते हैं वह अन्यान्य वाचाल सदस्यों के साथ-साथ हम सभी रचनाकर्मियों के लिए भी अनुकरणीय है. मैं तहेदिल से क्षमा चाहता हूँ अगर संप्रेषणीयता में हुई असहजता के कारण आपके लिए भ्रम की स्थिति बनी.
सादर
बहुत बढ़िया और सटीक रचना, नुक्सान हमेशा भोली भाली जनता का ही होता है| बधाई आपको
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |