For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल( काफियों की अब करो......)

2122 2122 2122
काफियों की अब करो पहचान फिर से
पानी बहता मत करो हिमवान फिर से।1

ढ़ल रहा कबसे घड़ा में बेझिझक वह
अब अतल से तो मिले नादान फिर से।2

आज निर्मल बह रहा कहता धरा पर
प्यास बुझती हो यही अरमान फिर से।3

मैल मन का धो रही उसकी लहर है
मत सुनाओ अब गड़ा फरमान फिर से।4

काफिये का जल बँधेगा कब हदों में ?
तूमरी में मत उठा तूफान फिर से।5

आब कह दो या कहो पानी इसे तुम
फर्क कितना है कहो गुणवान फिर से।6

बात मन की कह रहे हैं काफिये ही
वर्ण बनते हर्फ की आख्यान फिर से।7

चाँद-सूरज कब बँटे हैं,तोलना है,
राह मुश्किल क्यूँ करें नुख्तान फिर से।8

भाव ढ़ोतीं मौन भाषाएँ मुसाफिर
हो भला आओ करें संग्यान फिर से।9
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on July 14, 2016 at 8:22pm
आदरणीय सुशील जी,आपका आभार।
Comment by Manan Kumar singh on July 14, 2016 at 8:21pm
आभार आपका आदरणीय गिरिराज भाई।
Comment by Sushil Sarna on July 14, 2016 at 2:49pm

आदरणीय मनन जी काफियों पर आधारित इस सुंदर  ग़ज़ल  के लिए हार्दिक बधाई। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2016 at 11:47am

आदरनीय मनन भाई , अच्छी गज़ल हुई है , हार्दिक बधाइयाँ आपको , इस गज़ल के लिये ।

Comment by Manan Kumar singh on July 13, 2016 at 4:05pm
जनाब समर साहब गजल आपकी तवज्जो के काबिल ठहरी,यह मुझ अदना तुकबंद के लिए हौसलातुल्य है।'हिमवान' हिमालय पर्वत को कहते हैं यानि बर्फ का घर।शेष परिमार्जन मैं अभी करता हूँ।आपकी बहुत-बहुत शुक्रिया पेश है।
Comment by Samar kabeer on July 13, 2016 at 3:51pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी हुई है, पूरी ग़ज़ल काफियों के बारे में है, बहुत बधाई आपको इस प्रस्तुति के लिये, हिंदी शब्दों का मुझे ज्ञान कम है, कृपा कर "हिमवान' का अर्थ मुझे बताएं ।

छटे शैर के ऊला मिसरे का अंतिम शब्द 'मुकम्मल'भर्ती का है, इसकी जगह 'इसे तुम' करना मुनासिब होगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service