For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अलसाई पलकों पे चुम्बन धर जाऊँगी (नवगीत 'राज ')

खोलो दिल के वातायन प्रिय मैं आऊँगी

अलसाई पलकों पे चुम्बन धर जाऊँगी

अलकन में नम शीत मलय की    

बाँध पंखुरी 

पंकज की पाती से भरकर  

मेह अंजुरी

ऊषा की लाली से लाल

हथेली रचकर

कंचन के पर्वत से पीली 

धूप  खुरच कर

कोना कोना मैं ऊर्जा से भर जाऊँगी

अलसाई पलकों पे चुम्बन धर जाऊँगी

सुरभित कुसुमो के सौरभ को

भींच परों में

चार दिशाओं के गुंजन को

सप्तसुरों  में

बन बाँसुरिया नेह प्रणय की

करूँ पैरवी

तेरे कानों में आ घोलूँ  

राग भैरवी

साँसों की सरगम को झंकृत कर जाऊँगी

अलसाई पलकों पे चुम्बन धर जाऊँगी

------------मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 826

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 15, 2016 at 7:13pm

जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 15, 2016 at 7:09pm

हर नवगीत वस्तुतः एक गीत ही होता है, लेकिन हर गीत नवगीत नहीं होता  -  देवेंद्र शर्मा ’इन्द्र’ (नवगीत विधा के पुरोधा)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 15, 2016 at 7:06pm

जी  जरूर वैसे पहले पढ़े भी हैं किन्तु जब नवगीत पर पूर्णतः फोकस करूंगी तब अवश्य इनमे से बाल की खाल निकालूंगी हाहाहा ..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 15, 2016 at 6:54pm

आदरणीया राजेश जी, नवगीत विधा को लेकर यदि आपके मन में चाहत उमड़ी है तो यह सर्वथा स्वागत योग्य चाहत है. चूँकि यह विधा समझ, भावबोध और तार्किकता की दृष्टि से तनिक अलग किस्म की विधा है, तो रचनाकार को सदा सचेत रहना पड़ता है. सर्वोपरि, यह विधा मानवीय पहलुओं की विशिष्ट दशाओं को आक्षरित करने की विधा है. जिसमें अधुना जीवन के पक्षों को अत्यंत प्रासंगिक प्रतीत होते बिम्बों से उभारा जाता है. 

जिस तरह से आपकी रचना में एकांगी भावदशा का सहज प्राकट्य हुआ है, और, तत्सम शब्दों की भरमार हुई है, आपकी रचना वहीं नवगीत से छिटक जाती है. आप इस तथ्य पर गहरे से सोचियेगा. 

दूसरे, मैंने जो आलेख आदि लिखे हैं वो किनके लिए लिखे हैं ? और कोई न पढ़े, कमसेकम रचनाकार तो पढ़ें ! बिना सार्थक और आवश्यक अध्ययन के कौन सी विधा सधने वाली है ? वह भी नवगीत और जनगीत जैसी विधाएँ ? 

 

इस मंच पर भी फोरम समूह में ’गीत, नयी कविता और नवगीत’ पर आलेख पड़ा है ! दो भागों में ! कमसेकम इन तीनों से परिचयात्मक मिलन तो कर ही लीजिये.. :-))

हा हा हा हा.. 

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 15, 2016 at 6:27pm

आद० सौरभ जी ,प्रस्तुति पर आपका आना तारीफ करना और विधा के विषय में संशय दूर करना अच्छा लगा |लिखते वक़्त भी यही सोच रही थी की ये गीत में आएगा या नवगीत में आएगा भाव सब बिम्बात्मक लिए हैं इस लिए सोच रही थी की शायद ये नवगीत की श्रेणी में आएगा खैर आपने संशय दूर कर दिया | आपका बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 15, 2016 at 6:24pm

आद० अलका जी आपको यह गीत पसंद आया आपका दिल से बहुत- बहुत आभार |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 15, 2016 at 6:09pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी प्रस्तुति से मन प्रसन्न है. अत्यंत गहनता से भावों को शाब्दिक करने का प्रयास हुआ है. साथ ही, मैं आदरणीया अलका जी कहे से पूरी तरह सहमत हूँ, जिन्होंने आपकी रचना को गीत कह कर ही सम्बोधित किया है, बावज़ूद आपके ’नवगीत’ लिखने के ! आदरणीया, आपकी रचना शुद्ध गीत विधा की रचना है. 

सादर

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 15, 2016 at 5:42pm

वाह ....बहुत सुंदर गीत ....   राजेश कुमारी जी बधाई ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 13, 2016 at 11:24pm

ब्रिजेश कुमार बृज जी ,आपको नवगीत  पसंद आया  दिल से बहुत बहुत आभार आपका |

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 13, 2016 at 2:04pm

वाहह आदरणिया क्या शानदार लेखनी चली है....अतीव सुंदर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
15 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
15 minutes ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service