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कुकुभ -छन्द -६ नवरात्रि और दुर्गा पूजा के अवसर पर

 कुकुभ छंद

घोड़े चढ़कर दुर्गनाशिनी, माँ भवानी आ रही है

घोड़े के वाहन पर दुर्गा, लौटकर भी जा रही है |

घोडा उथल पुथल का प्रतीक, युद्ध की संभावना है

ज्योतिष विद्या मानते इसको, देशो की तना तनी है |

२.

ज्योतिष गणना में है पाते, आपद विपद कष्ट सारा

पूजो माता दुर्गा को अब , माता ही एक सहारा |

भक्त वत्सला, शक्ति स्वरूपा, भक्तों के घर आएँगी

कार्तिक गणेश महेश को भी, साथ साथ ही लाएँगी |

३.

नवरात्रि में आद्य शक्ति स्रोत, उसकी होती है पूजा

है लक्ष्मी, सरस्वती, काली, दुर्गा वही, नहीं दूजा |

महालक्ष्मी रूप में सबको, समृद्धि प्रदान करती है

सरस्वती बनकर ही दात्री, अज्ञान को मिटाती है |

४.  

पहली और तीसरी माता, शैलपुत्री चन्द्रघंटा

दूसरी और चौथी माता, ब्रह्मचारिणी कुष्मांडा

छठवीं और पाँचवीं पूजा, कात्यायिनी स्कन्द माता

कालरात्रि महागौरी रूप, सातवीं आठवीं पूजा |

सर्व सिद्धि दायिनी शक्ति हो, सिद्धिदात्री नवीं माता |

महाकाली महालक्ष्मी तू, सरस्वती देती विद्या |

नौ रूपी दुर्गा पूजा ही, है सब सुख समृद्धि दात्री

नौ रूपी दुर्गा माता है, दस्यु शुम्भ-निशुम्भ हन्त्री |

६.

महादेवी शिवा को प्रणाम, सर्वदा हमसब करते हैं

कल्याणी सुख शांति रूप में. सदा ही करुणामयी है |

नमस्कार है श्रद्धा कृष्णा, दुर्गा नमो दुर्गपारा

बारबार हम करते प्रणाम, तुम्ही हो ये जगत सारा |  

     
मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 5, 2016 at 10:10pm

प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया आदरणीया कल्पना जी 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 7:46pm

आ. कालिपद सर बेहद सुंदर रचना हुई है | हार्दिक बधाई |

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 3, 2016 at 10:55pm

शुक्रिया आदरणीय शिज्जू 'शकूर ' जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 3, 2016 at 5:45pm

आ. कालिपद मंडल जी अच्छी रचना हुई है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 2, 2016 at 4:28pm

तहे दिल से शुक्रिया आ समर कबीर साहिब जी |आदाब 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 2, 2016 at 4:26pm

जय माता दी आ बृजेश कुमार जी |

Comment by Samar kabeer on October 2, 2016 at 3:56pm
जनाब कालीपद प्रसाद जी आदाब,बढ़िया कुकुभ छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 2, 2016 at 2:42pm

जय माता दी

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