आदरणीय साथिओ,
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मुहतरम जनाब रवि प्रभाकर साहिब , लघु कथा आपकी नज़रों में कामयाब हो गयी , मेरा लिखना सार्थक हो गया , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , लघु कथा आपकी नज़रों में कामयाब हो गयी , मेरा लिखना सार्थक हो गया , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया, महरबानी ---
आदरणीय तसदीक़ अहमद खान जी, घूसखोर कर्मचारियों, अफसरों, नेताओं और उदयोगपतियों के कालेधन का तो पता नहीं लेकिन घरेलू महिलाओं का छुपाधन जरूर बाहर आ गया है। अपने शीर्षक को लघुकथा ने सार्थक किया है। इस प्रस्तुति हेतु बधाई।
मुहतरम जनाब विनोद खनगवाल साहिब , लघु कथा आपकी नज़रों में कामयाब हो गयी , मेरा लिखना सार्थक हो गया , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया, महरबानी ---
समसामयिक लघुकथा आदरणीय खान साहब जी. बधाई आप को .
मुहतरम जनाब ओम प्रकाश साहिब , लघु कथा पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---
आदरणीय तस्दीक अहमद जी, एक खबर के साथ कई भावनायें मिली रहती है. पूजा की भावनाओं को श्याम ने सही प्रकार से समझा था. सादर.
हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।बेहतरीन प्रस्तुति।
मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब , लघु कथा पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---
मुहतरम जनाब शुभ्रांशु साहिब , लघु कथा पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---
अच्छी लघुकथा है आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान जी। हार्दिक बधाई। आदरणीय विनोद खनगवाल से मैं भी सहमत हूँ।
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