आदरणीय साथिओ,
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सार्थक सन्देश देती हुई यह कथा आपकी अच्छी बन पड़ी है आदरणीय शहजाद जी | हार्दिक बधाई |
आ. उस्मानी जी बहूत उम्दा कथा जो प्रदत्त विषय से पूर्ण न्याय कर रही है. वाकई क्या हो गया है आजकल की युवा पिढी को जो अपने आप को धोखा दे रही है.माँ बाप के पैसे मौज-मस्ती में उड़ाने वालों की कोई कमी नहीं हैI कुछ हद तक परिवार जन भी जिम्मेवार है इसके लिए जो इतनी सुविधाएँ मुहैया कराते है बच्चों को. उन्हें पैसो का मोल सिखाने की कोशिश की जाना बहूत जरुरी है. इस कथानक और कथ्य की बुनावट के लिए बधाई आपको
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