आदरणीय साथिओ,
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प्रदत्त विषय पर बहुत प्रभावशाली रचना, हर गुरु की यह इच्छा होती है कि उसका शिष्य इस परंपरा को आगे बढ़ाएगा| बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए
आदरणीया शशि जी आपकी सूक्ष्म दृष्टि ने खूब पकड़ा.... कल्पनाजी अब आप गुरु का पूरा नाम आनंद निर्मल जी रख लीजिये. सादर
आ० कल्पना जी अच्छी कथा हुयी है .
मुह्तरमा कल्पना साहिबा , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुंदर लघु कथा
के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ---
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