आदरणीय साथिओ,
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एक ऐसे जमींदार का जो सब कुछ हार चुका हो, की मनोस्थिति का बखूबी वर्णन किया है आपने इस रचना में| अंत अच्छा है, बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए
आ० सीमा जी , बहुत बढ़िया , क्या बात है .!
मुह्तरमा सीमा साहिबा , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुंदर लघु कथा
के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ---
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