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बैजनाथ शर्मा 'मिंटू' - सू ए मंजिल तुझे हर हाल में जाना होगा

212 2112 2112 222

सू ए मंजिल तुझे हर हाल में जाना होगा|
आज तन्हा है तो कल साथ ज़माना होगा|

मैं तो दुश्मन हूँ भला पीठ पे कैसे मारूं
इस लिए दोस्त तुझे दोस्त बनाना होगा |

जाग उठते है मेरे मन में सवालात कई
हर किसी दर पे न अब सर को झुकाना होगा |

एक दिन देखना छिड़केंगे नमक ज़ख्मों पर
शर्त है ज़ख्म सब अपनों को दिखाना होगा|

फ़ितनागर लोग ज़माने में बहुत देखे हैं,
हर किसी को न यहाँ दोस्त बनाना होगा|

जिनकी ताबीर न मुमकिन हो कभी जीवन में
ऐसे सपने न कभी दिल में सजाना होगा |

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 618

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Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on February 3, 2017 at 9:56pm

आदरनीय बृजेश साहेब,...हौसला अफजाई के लिए ......बहुत बहुत शुक्रिया आपका 

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on February 3, 2017 at 9:55pm

आदरनीय लक्ष्मण साहेब,....आपको मेरी ग़ज़ल पसंद आई ......बहुत बहुत शुक्रिया आपका 

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on February 3, 2017 at 9:54pm

आदरनीय समर साहेब,....आपको मेरी ग़ज़ल पसंद आई ......बहुत बहुत शुक्रिया आपका 

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on February 3, 2017 at 9:53pm

आदरनीय शिज्जू  साहेब,....बहुत बहुत शुक्रिया .... ग़ज़ल  पुन: देखता हूँ|

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on February 3, 2017 at 9:49pm

आदरनीय समर साहेब,....बहुत बहुत शुक्रिया .... मैं इस ग़ज़ल को पुन: देखता हूँ|

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2017 at 12:16pm

आ. बैजनाथ जी . सूंदर ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई .

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 1, 2017 at 9:05pm
वाह आदरणीय बेहद खूबसूरत ग़ज़ल हुई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 31, 2017 at 9:03pm
आ.बैजनाथ शर्मा'मिंटू'जी अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई आपको शेष समर साहब ने बता ही दिया है
Comment by Samar kabeer on January 30, 2017 at 10:14pm
जनाब बैजनाथ शर्मा'मिंटू'जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
दूसरे शैर में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें ।

"ऐसे सपने न कभी दिल में सजाना होगा"

इस मिसरे में एक वचन और बहुवचन का दोष है ,'ऐसे सपने' को "ऐसा सपना" करना होगा । दूसरी बात इस मिसरे में व्याकरण का दोष भी है यानि मिसरे में बात पूरी तरह साफ़ नहीं है ,यह बात इस तरह है :-

"ऐसे सपने तो कभी दिल में सजाया न करो"

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