भोपाल में ओबीओ सदस्यों की साहित्य संध्या : एक रिपोर्ट
आज दिनांक 29 जनवरी 2017 को हमारे निवास बागमुगलिया भोपाल में ओपन बुक्स ऑनलाइन ओबीओ सदस्यों की साहित्य संध्या का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता मशहूर शायर जनाब ज़हीर कुरैशी जी द्वारा की गई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री मदन मोहन उपाध्याय जी (आई.ए.एस.) एवं विशिष्ट अतिथि श्री तिलक राज कपूर जी थे. आयोजन में शहर के जाने माने साहित्यकारों की उपस्थिति रही. डॉ. सूर्या बाली ‘सूरज’ (शायर), श्री ऋषि शृंगारी जी (गीतकार), श्री चन्द्रभान राही जी (कवि), श्री अशोक निर्मल जी (गीतकार), श्री हरिवल्लभ शर्मा जी (कवि), श्रीमती सीमा हरि शर्मा जी एवं श्रीमती मंजू “मनीषा” जी की गरिमामय उपस्थिति एवं काव्य पाठ ने आयोजन को समृद्ध किया.
कार्यक्रम के आरम्भ में श्रीमती मंजू “मनीषा” जी द्वारा माँ शारदा की वंदना प्रस्तुत की गई तत्पश्चात काव्य गोष्ठी आरम्भ हुई-
1.श्रीमती मंजू “मनीषा” जी द्वारा कुछ मुक्तक एवं गीत सुनाये गए. उन्होंने पर्यावरण पर एक मुक्तक से अपने काव्य पाठ का आरम्भ किया-
हरे भरे पेड़ जमाने के काम आयेंगे
सूख जाने के बाद जलाने के काम आयेंगे
तुम खंडहर समझ कर मत बेच देना इस मकान को
बुरे समय में सिर छुपाने के काम आयेंगे
2. श्री हरिवल्लभ शर्मा जी द्वारा नव वर्ष के स्वागत में गीत का पाठ किया गया-
आइये नववर्ष का
हम आज अभिनन्दन करें
कालगणना संवतों से दूर हम जाने लगे
भूल अपनी सभ्यता हम आंग्ल धुन गाने लगे
3.श्री अभिषेक वामनकर जी युवा रचनाकार की ग़ज़लों एवं अतुकांत की प्रस्तुति को वरिष्ठ जनों द्वारा सराहा गया.
हर शाम फिर सुहानी लिखना
तुम भी एक कहानी लिखना
मत पूछो रातों का आलम
सुबह नै आसमानी लिखना
4. श्रीमती सीमा हरि शर्मा जी ने पञ्चचामर छंद एवं ग़ज़ल का रचना पाठ किया –
खूबसूरत जिंदगी करनी हो तो बस ये करो
कुछ तुम्हारे सा बनूँ मैं मुझसा तुम भी बनो
साथ तो चलते सभी है जिंदगी की राह में
बात बनती है तभी जब हर कदम मन से चलो
5. मिथिलेश वामनकर – मुझ नाचीज को भी ग़ज़ल और गीत पाठ का सौभाग्य प्राप्त हुआ –
गीत लिखो कोई ऐसा जो निर्धन का दुख-दर्द हरे।
सत्य नहीं क्या कविता में, निर्धनता का व्यापार हुआ?
6. डॉ सूर्या बाली ‘सूरज’ जी ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में गज़लें सुनाई-
जिंदगी का रंग फीका था मगर इतना न था
इश्क़ में पहले भी उलझा था मगर इतना न था
क्या पता था लौटकर वापस नहीं आएगा वो
इससे पहले भी तो रूठा था मगर इतना न था
7.श्री ऋषि शृंगारी जी देश के जाने माने गीतकार हैं. आपकी सुमधुर आवाज़ में गीत सुनना एक सुखद अनुभव होता है-
मैं मंदिर में चला आया वो मस्जिद में गया होगा
मैं पूजा ध्यान में बैठा, वो सजदे में रहा होगा
बहुत मुमकिन है वो उस क्षण हमारे साथ भी होगा
मौन में जब समाधि तक कोई झरना बहा होगा
8. श्री अशोक निर्मल जी ने एक गीत का पाठ किया –
बाँट जोहता है खूटी पर टंगा टंगा थैला
संख्या के परिमाण से घर की हालत चंगी है.
किन्तु दाम की सदा सदा से देखी तंगी है
सुविधाओं पर बैठ गया है आकर नाग विषैला
9.श्री राम राव वामनकर जी, द्वारा गीत का पाठ किया गया –
कर प्रवंचना औरों से फिर चाहता विश्वास, रे ओ बावरे मन
नक्षत्र उपवन में विचरती तितलियों सी कल्पनाएँ
इन्द्रधनु की डोर पर विष तीर सी धर कामनाएं
महाशून्य में लक्ष्य का मिलता नहीं आभास, रे ओ बावरे मन
10. श्री तिलक राज कपूर जी द्वारा गज़लें सुनाई गई-
थक गए जब नौजवां ये हल निकाला
फिर से बूढ़ी बातियों में तेल डाला
जो परिन्दें थे नए टपके वही बस
इस तरह बाज़ार को उसने उछाला
11. श्री मदन मोहन उपाध्याय जी द्वारा गीत, ग़ज़ल एवं अतुकांत रचनाओं का पाठ किया गया-
आलम को सजाकर तू मेरे ख़त न पढ़ा कर
अहसास जगाकर तू मेरे ख़त न पढ़ा कर
तहरीर बदल जाती है मेरे कलाम की
सीने से लगाकर तू मेरे ख़त न पढ़ा कर
12.जनाब ज़हीर कुरैशी साहब की ग़ज़लों ने आयोजन को एक नई उचाईयों पर ले गया-
न कोई आम लगे और न कोई ख़ास लगे
उदास होते ही दुनिया बड़ी उदास लगे
सुखों के पेड़ तो उगते हैं पर्वतों पे कहीं
दुखों के पेड़ हमारे ही घर के पास लगे
काव्य पाठ के पश्चात् ओबीओ साहित्योत्सव भोपाल 2016 के समापन समारोह में कतिपय कारणों से सम्मिलित नहीं हो सके श्री तिलक राज कपूर जी, श्री ऋषि शृंगारी जी एवं डॉ. सूर्या बाली ‘सूरज’ जी को स्मृति चिन्ह कार्यक्रम के अध्यक्ष महोदय द्वारा प्रदाय किये गए.
आयोजन का सञ्चालन श्री अशोक निर्मल जी एवं श्री चंद्रभान राही जी द्वारा किया गया तथा आभार प्रदर्शन इस नाचीज़ के जिम्मे था. स्वल्पाहार के साथ गरिमामय आयोजन का समापन हुआ. इस आयोजन में ओबीओ भोपाल चैप्टर के त्रैमासिक आयोजन की रुपरेखा भी बनाई गई.
दैनिक सांध्य प्रकाश में प्रकाशित समाचार
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आदरणीय समर कबीर जी, हार्दिक धन्यवाद आपका. मैंने हाल ही में लिखी दो गज़लें और एक गीत सुनाया था. सादर
आदरणीय मिथिलेश भाई , पढ कर बहुत खुशी हुई , और भोपाल से बहुत दूर होने का दुख भी हुआ , अगर पास रहता तो मै ज़रूर उपस्थित होता । सभी प्रतिभागियों को हार्दिक बधाइयाँ एवँ ऐसे ही अगले आयोजन के लिये शुभकामनायें ॥
आदरणीय गिरिराज सर, इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. भोपाल में ओबीओ सदस्यों और अन्य वरिष्ट साहित्यकारों से जुड़ने और जोड़ने के प्रयास के क्रम में यह आकस्मिक आयोजन था. बस लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया. सादर
आदरणीय वामनकर जी, सहित्य संध्या के सफल आयोजन पर बधाई स्वीकार करें.
कामयाब आयोजन की बधाई आ. मिथिलेश जी
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