आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
ठहरी हुई लहरें
यशोधरा ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि आज वह यह करके ही रहेगी।
खिड़की के पास खड़ी होकर वह बहुत देर से आसमान की ओर देख रही थी। "परमेश्वर को कैसे देखा जा सकता है पिता जी?" उसे वह प्रश्न याद आया जिसके उत्तर ने उसे कभी सन्तुष्ट नहीं किया। "उसे देखा नहीं महसूस किया जाता है।"
रोज की तरह आज भी उसके मन में ढेरों प्रश्न उमड़ रहे थे। जैसे हम मरते हैं तो कहाँ जाते हैं? कहीं जाते भी हैं या नहीं? क्या आत्मा जैसी कोई चीज होती है? होती है तो कैसी होती है? जीवन का लक्ष्य क्या है? सुख प्राप्त करना? या कि मोक्ष?
उसने मुड़कर कमरे में लगे बिस्तर की तरफ़ देखा। बेटे राहुल का हाथ खर्राटे ले रहे पिता गौतम के सीने पर था। दोनों गहरी निद्रा में थे। वह आगे बढ़कर उनके पास गयी और थोड़ी देर तक वहीं खड़ी रही। फिर धीरे से कहा:
"मैं सत्य की खोज में जा रही हूँ।" और घर छोड़ कर चली गयी।
(मौलिक व अप्रकाशित)
वाह्ह्ह महेंद्र कुमार जी ये भी खूब रही सत्य की ख़ोज में कोई गौतम ही घर छोड़कर क्यूँ जाए क्या कोई यशोधरा नहीं जा सकती आज के परिवेश में जहाँ स्त्री पुरुष के साम्यता की बातें हो रही हैं तो ये भी संभव है धारा से विपरीत यशोधरा क्यों नहीं चल सकती इस वास्तविक घटना को अलग ही नजरिये से लघु कथा में पिरोना बहुत अच्छा लगा बहुत बहुत बधाई आपको महेंद्र भैया .
आदरणीय महेन्द्र जी, यथोधरा के सत्य की खोज में जाने को स्त्री पुरुष साम्यता से जोड़कर बढ़िया प्रतीकात्मक लघुकथा लिखी है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |