For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बातों ही बातों में उनसे प्यार हुआ - सलीम रज़ा रीवा

22 22 22 22 22 2 ..

बातों ही बातों में उनसे प्यार  हुआ.

ये मत  पूछो  कैसे कब इक़रार हुआ

.      

जब से आँखें उनसे मेरी चार हुईं.

तब से मेरा जीना भी दुश्वार हुआ

.

वो शरमाएँ जैसे  शरमाएँ कलियाँ.

रफ्ता रफ्ता चाहत का इज़हार हुआ

.

दिल की बातें वो  ऐसे पढ़  लेता है.

दिल न हुआ जैसे कोई अख़बार हुआ

.

उनसे  ही खुशियाँ है मेरे आंगन में.

उनसे ही  रौशन मेरा घर बार हुआ

.

आँखों में बस उनका चेहरा दिखता है.

शोख़ हसीना का जब से दीदार हुआ

....

मौलिक व अप्रकाशित

Gazal by salimrazarewa

Views: 1059

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on November 1, 2017 at 8:41pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी ,
ग़ज़ल में आपकी शिरक़त और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by SALIM RAZA REWA on November 1, 2017 at 8:41pm

जनाब विजय निकोरे जी ,
ग़ज़ल में आपकी शिरक़त और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by vijay nikore on November 1, 2017 at 4:49pm

बहुत ही खूबसूरत गज़ल कही है। बधाई।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 30, 2017 at 8:45pm
बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई ज़नाब सलीम साहब..बधाई
Comment by SALIM RAZA REWA on October 30, 2017 at 8:40am
आली जनाब समर साहब,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया ग़ज़ल में आपके इस्लाह के मुताबिक तब्दीली कर दी गई है.. शुक्रिया
Comment by SALIM RAZA REWA on October 30, 2017 at 8:38am
जनाब तस्दीक़ साहब,
आपकी इस्लाह के मुताबिक़ तब्दीली कर दी गई है,
ग़ज़ल पे आपकी शिरक़त के लिए बहुत शुक्रिया..
Comment by SALIM RAZA REWA on October 30, 2017 at 8:35am
जनाब राम अवध जी,
आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया.
Comment by SALIM RAZA REWA on October 30, 2017 at 8:35am
जनाब अफरोज साहब,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया,
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on October 29, 2017 at 9:44pm
खूबसूरत ग़ज़ल के लिये बधाई
Comment by Samar kabeer on October 29, 2017 at 9:06pm
जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
सब कुछ गुणीजन बता ही चुके हैं,मतले के सानी मिसरे में 'पूंछो' को "पूछो" कर लें,दूसरे शैर के ऊला में 'आँखे' को "आँखें"कर लें,तीसरे शैर के ऊला में 'शरमाए' को "शरमाएँ" कर लें,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service