आदरणीय साथिओ,
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अच्छी लघुकथा है आ. मनन जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
अच्छी लघु कथा हुई आद० मनन कुमार जी बहुत बहुत बधाई
बहुत सुन्दर बहुत चुस्त दुरुस्त लघु कथा हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार जी
द रेप ऑफ़ द मदरलैण्ड
ज़मीन पर गिराने के बाद एक ने उस महिला का हाथ पकड़ा, दूसरे ने पैर और तीसरे ने मुँह। चौथा आदमी उस्तरे से उस महिला के सर के बाल छीलने लगा।
"ये कौन लोग हैं?" विदेशी टूरिस्ट ने अपने गाइड से पूछा। "इस महिला के बेटे।"
"बेटे!" टूरिस्ट चौंका, "कोई अपनी ही माँ के साथ ऐसा व्यवहार क्यों करेगा?"
"पैसा साहब, पैसा! इस महिला के बाल बहुत कीमती हैं।" गाइड ने लम्बी साँस छोड़ते हुए कहा।
महिला के सर के पूरे बाल अब उस आदमी के हाथ में थे। उसने अपने साथियों की तरफ़ देखा। सभी की आँखें चमक उठीं। चारों ने अपने सूट में लगी हुई धूल को झाड़ा और देखते ही देखते वहाँ से गायब हो गये।
गाइड ने हतप्रभ खड़े टूरिस्ट की तरफ़ देख कर मुस्कुराते हुए कहा, "जब इसके बाल बढ़ जाएँगे तो ये लोग फिर आयेंगे।"
टूरिस्ट ने अपने को संभाला और पूछा, "ये सब कब से चल रहा है?"
"जब से आपके पुरखे यहाँ से गए हैं।" गाइड ने अपनी टोपी सीधी करते हुए कहा।
इससे पहले कि वह कुछ और कह पाता अचानक ही वहाँ उस महिला के दूसरे बेटे आये और उसके कपड़े नोचने लगे। किसी के हाथ में कुछ आया तो किसी के कुछ। उन्होंने एक-दूसरे को देखा और आपस में भिड़ गए। छीना-झपटी में जिसके हाथ जो लगा वो वही ले कर वहाँ से भाग गया।
गाइड ने आगे कहना शुरु किया, "आपके पुरखों से अपनी माँ को आज़ाद कराने के बाद एक दिन सुबह इसके बेटे यह कह कर निकले कि वो अपनी माँ के लिए अच्छी सी साड़ी और सुन्दर सी चूड़ियाँ लेने जा रहे हैं। लेकिन पता नहीं ये कौन से बाज़ार में गए कि जहाँ जा कर अपनी माँ को ही भूल बैठे। न जाने क्यों इस बेचारी को अभी भी यह उम्मीद है कि इसके बेटे लौटेंगे।"
टूरिस्ट की आँखें चौड़ी हो गयीं। उसने अपना कैमरा निकाला और कहा, "मुझे इसकी तस्वीर खींचनी चाहिए। अच्छे दाम मिलेंगे।" गाइड ने अवसर देखकर नाड़ा उठाया और अपनी जेब में रख लिया जो छीना-झपटी में वहीं ज़मीन पर गिर गया था।
थोड़ी ही देर में वहाँ फिर से चहल-पहल हो गयी। "अब चलें?" गाइड ने टूरिस्ट से कहा और उसे ले कर वहाँ से चला गया।
महिला वैसे ही निर्वस्त्र पड़ी थी। कुछ समय बाद कार से एक आदमी उतरा और उस के पास जा कर खड़ा हो गया। महिला उसे देख कर मुस्कुरायी और बोली, "बेटा तुम आ गए।" मगर उस आदमी पर कोई असर नहीं हुआ। उसने अपनी जेब से चाकू निकाला और महिला की आँख को देख कर घूरने लगा।
(मौलिक व अप्रकाशित)
बहुत-बहुत शुक्रिया आ. वसुधा जी. आभारी हूँ आपका. सादर.
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