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वाद विवाद और मवाद

कहते हैं ठोकर खाने से अक्ल आती है लेकिन कोई छोटन तिवारी से पूछे तो कहेंगे ठोकर लगने से सर फूटता है खून आता है और रही सही अक्ल नामालूम सी जगह घुस जाती है ।
छोटन को जब अक्ल आई तब तक तीन बच्चों के बाप हो चुके थे । बाप गाँव के मानजन थे तो पंचायती दरी सफेदा इन्हीं के यहाँ रहता था। दो रूपये के हिसाब से भी गाँववालों को किराये पर देने में साल में दो चार हजार पंचायत के खाते में जमा हो ही जाता ।
देखाभाला व्यापार था तो जब पिता के न रहने पर विपत्त पड़ी तो टेंट शमियाना और लाइट साउंड वगैरह किराये पर देने का धंधा शुरू कर दिया ।
इस धंधे में आने के बाद प्रवचन, तकरीर ,शबद् कीर्तन ये पार्टी वो पार्टी सब देखना सुनना हुआ । अब छोटन निर्विकार हो चुके थे। चुनाव और शादी ब्याह दोनों का मौसम चल रहा था इसलिए काम ज्यादा था और संसाधन कम। लेकिन छोटन जोड़ तोड़ करके काम चला ही रहे थे ।
आज मंत्री जी अछूत समाज को संबोधित कर रहे थे और छोटन हमेशा की तरह मंच के पीछे कुर्सी पर बैठे उंघ रहे थे ।
भाषण शुरू हुआ "फलानों ने पीढ़ियों तक हमारा बहुत टें टें टें टींईईईई .. किया है। हमें बदले में टें टीं टा करना पड़ेगा ।"
टेंट उठाकर आयोजक चिल्लाये "कौन है रे माइकवाला जल्दी ठीक करो इसको । "
छोटन दौड़कर माइक के पास पहुंचे और ज्योंही माइक को छुआ मंत्रीजी पीछे हट गये "कितना महकता है जी तुमलोग, थोड़ा हट के नहीं खड़ा हो सकता ,कितनी बास आती है ।"

"हाँ हमारे दादा बीड़ी पीते थे न तो उसकी गंध हमलोगों के शरीर में रह गई है" , छोटन ने माइक का तार खोलकर वापस लगा दिया ।

(मौलिक और अप्रकाशित )

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Comment by Samar kabeer on February 25, 2018 at 2:45pm

जनाब कुमार गौरव जी आदाब,अच्छी प्रस्तुति हुई,बधाई स्वीकार करें ।

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