आदरणीय साथिओ,
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बहुत -बहुत धन्यवाद आदरणीय समर जी ,आभार ,सादर
आदरणीय बरखा शुक्ला जी इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई
बहुत -बहुत धन्यवाद आदरणीय ओम प्रकाश जी ,आभार ,सादर
बुजुर्गों की सेवा सहज ही स्वभाव को नर्म बनाती है पर उसका अभाव अच्छे स्वभाव का परिचायक नहीं है ।बेहतरीन प्रस्तुति ।
बहुत -बहुत धन्यवाद आदरणीय कनक जी ,आभार ,सादर
आदरणीया बरखा शुक्ला जी, बहुत ही अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय नीलाम जी ,आभार ,सादर
जहाँ बुजुर्गों की सेवा नहीं होती हो उस जगह का बहिस्कार किया ही जाना चाहिए, बढ़िया रचना विषय पर, बधाई आपको
बहुत -बहुत धन्यवाद आदरणीय विनय जी ,आभार ,सादर
अच्छी रचना बरखा जी। विषयानुकूल
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय अजय जी ,आभार ,सादर
हार्दिक बधाई आदरणीय बरखा जी।जो लोग अपने बुजुर्गों को सम्मान और सेवा नहीं दे सकते, वे किसी भी तरह के संबंध के योग्य नहीं होते। बेहतरीन लघुकथा।
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