आदरणीय साथिओ,
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बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया नीलम उपाध्याय जी। यह टिप्पणी दूसरे थ्रेड में पोस्ट हो गई है।
बंदरों को प्रतीक बनाकर सुंदर कथा लिखी है ।वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक कथा के लिये बधाई आद० ओमप्रकाश क्षत्रिय जी ।
आदरणीय नीता कसार जी आप की प्रतिक्रिया मेरी अमूल्य धरोहर हैं. हार्दिक आभार.
आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय जी आदाब,
बहुत शानदार और सामयिक लघुकथा । बेहतरीन संवाद । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी आप की प्रतिक्रिया मेरी अमूल्य धरोहर हैं. हार्दिक आभार.
बेहतरीन लघुकथा के माध्यम से दिया हैं कि सकारात्मक सोच द्वारा भी बदलाव किया जा सकता हैं. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सर जी.
आदरणीय बबिता गुप्ता जी आप की प्रतिक्रिया मेरी अमूल्य धरोहर हैं. हार्दिक आभार.
आज के समय में अप्रासंगिक होते जा रहे बापू के बन्दरों को केंद्रित रख बहुत बढ़िया सृजन हार्दिक बधाई आदरणीय ओमप्रकाश जी
आदरणीय प्रतिभा पांडे जी आप की प्रतिक्रिया मेरी अमूल्य धरोहर हैं. हार्दिक आभार.
बंदरों को माध्यम बनाकर लिखी गई सुंदर कथा के लिये बधाई आद० ओम भाई जी ।
आदरणीय नीता कसार जी आप की प्रतिक्रिया मेरी अमूल्य धरोहर हैं. हार्दिक आभार.
वाह, वाह, क्या गजब का पंच मारा है आपने रचना में, बहुत बढ़िया. आज के परिप्रेक्ष्य में इससे बेहतर और क्या हो सकता है कि हम सब नकारात्मकता को छोड़कर सिर्फ सकारात्मकता ही देखें. बधाई इस बेहतरीन रचना के लिए आ ओम प्रकाश जी
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