For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" टूटन का पुष्पण" - कविता/ अर्पणा शर्मा, भोपाल

हँस पड़ती हूँ ,
अक्सर मैं,
मुझे तोड़ने में
मशगूल,
अपनी अमोल ऊर्जा,
व्यर्थ करते उन,
मिथ्या हितैषियों को
देखकर,

टूटन को नित,
यूँ पान करती
आई हूँ कि,
ये गरल तो मेरी
हर श्वांस में
घुला-मिला है,
इसे नित जीकर....

कि इसके बिना,
हल्की-हल्की सी,
श्वांसों पर यकीं
ना होना
लाजिमी है,

तिल भर भी तो,
 नहीं बची है,
कोई जगह
जहाँ किसी को
अवसर मिले,
मुझे आहत
 करने का,

सदा सर्वदा,
झेलती आई ,
उपभोग,  वैमनस्य,
घृणा, वितृष्णा, कुंठा,
स्वार्थ और अहम् के
विषैले - तीखे  दंश,

पीती आई ,
उपेक्षाओं के ,
दर्दीले सैलाब,
अँजुरी भर-भर,
छक कर,

कि शिव की तरह,
 विष पान का प्रभाव
नीलम् कर गया है
मेरी उच्छ्वासों को,
जिनसे है,
आह निकलती सदा,
टूटन की,

बंजर ठूंठ जो,
खिला नहीं सका
जो इक कोंपल भी,
ताने कसता मानो
मुझपर  वह भी,

हँसती हूँ ,
उनकी ऩाकामी पर,
कि वे अचरज करते हैं,
मेरी निर्मल हँसी पर,
पर वे नहीं जानते,
ये उसी टूटन से
उपजी है,
जो उन्होंने,
सदाशयता से
बिखेर दी थी,
मेरे ऊपर....

लेकिन यही टूटन,
मेरे मन की
कोमल- संवेदी,
 उर्वरा माटी पर,
 मेरी भावनाओं की,
निश्चल संगत में,
वेदनासिक्त अश्रुओं से,
नित सिंचित हो,
निर्मल हँसी को ,
असंख्य रूपों में,
पुष्पा गई ...!!

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 6, 2018 at 7:29pm

आ. अपर्णा जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Neelam Upadhyaya on August 6, 2018 at 4:59pm

आदरणीया अर्पणा जी, अच्छी भावपूर्ण रचना हुयी है।  बधाई। 

Comment by Arpana Sharma on August 5, 2018 at 1:29pm

जनाब समर साहाब, आदरणीया प्रतिभा जी, जनाब मोहम्मद आरिफ जी- मेरी कविता की पसंदगी के लिये आप सभी का तहेदिल शुक्रिया।

मैं पटल पर और समय देने का यथासंभव प्रयास करती हूँ । आपके सुझाव ह्रदयग्राह्य हैं। 

Comment by pratibha pande on August 5, 2018 at 11:58am

बहुत ही सुन्दर रचना  एक एक शब्द भावों से पगा है   हार्दिक बधाई प्रिय अर्पणा जी

Comment by Mohammed Arif on August 5, 2018 at 9:42am

आदरणीया अर्पणा जी आदाब,

                    बहुत ही बेहतरीन कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । मैं आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की बात से सहमत हूँ ।

Comment by Samar kabeer on August 4, 2018 at 6:21pm

मुहतरमा अर्पणा शर्मा जी आदाब,अच्छी कविता है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

मंच पर दूसरे रचनाकार भी आपकी अमूल्य टिप्पणी की प्रतीक्षा करते हैं,कृपया अपनी सक्रियता दिखाएँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
35 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service