आदरणीय साथिओ,
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लघुकथा _अंध विश्वास (आस्था)
आज़ाद सिंह रोज़ की तरह सवेरे सवेरे बीवी के साथ वरानडे में पड़ी कुर्सियों पर बैठते ही बहू को आवाज़ देने लगे, "बहू चाय ले आना"l
बहू फौरन दो कप चाय देकर अंदर चली गई l
चाय की चुस्की लेते हुए पत्नी आज़ाद सिंह से कहने लगीं," तीन साल हो गए बहू घर का चराग नहीं दे पा रही है, सोचती हूँ अगले महीने बाबा हरीराम के आश्रम में सत्संग है, आप कहें तो बहू को उनके पास लेजा कर आशीर्वाद दिलवा लाऊँ l
आज़ाद सिंह बीच में ही बोल पड़े," नहीं, नहीं, आज कल के बाबाओं का कोई भरोसा नहीं, आए दिन बलात्कार के केस में बाबा पकड़े जा रहे हैं, बाबा हरीराम पर भी शिष्या के साथ बलात्कार की इन्क्वायरी चल रही है "l
पत्नी ने फ़िर आस लगाते हुए कहा," पड़ोस में मोहन की बहू के औलाद उनके आशीर्वाद से ही हुई है "l
आज़ाद फ़िर दिलासा देते हुए बोले," यह सब तुम्हारा वहम है, सिर्फ़ भगवान पर भरोसा रखो, बहू का तो इलाज चल ही रहा है "l
आज़ाद सिंह पत्नी को समझा रहे थे कि इतने में बाहर से अख़बार वाले ने वरानडे में अख़बार फेंक दिया l आज़ाद सिंह ने जैसे ही पढ़ने के लिए अख़बार उठाया, पहले पन्ने पर छपी ख़बर देख कर चकित हो गए और फ़ौरन पत्नी से बोले," बाबा हरीराम को पुलिस ने शिष्या के साथ बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया?" l
(मौलिक व अप्रकाशित)
विगत वर्षों से खुल रहे राज़ों के मद्देनज़र समसामायिक गंभीर विषयांतर्गत बढ़िया संदेश वाहक रचना हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब।
कृपया ध्यान दीजिएगा: "सबेरे/बरामदे/हरिराम/ बहू को औलाद ...."
जनाब शहज़ाद उस्मानी साहिब, लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब , इस सामयिक, प्रासंगिक लघु-कथा की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई , सादर।
मुहतरम जनाब विजय साहिब, लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
वर्तमान में हुए घटनाक्रम को लघुकथा में बनाये इस विषय में प्रस्तुति बहुत सुंदर हुयी है लेकिन विषय चिरपरिचित होने के कारण अंत का आभास पहले ही होने लगता है.. बरहाल बढ़िया रचना के लिए बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी...
जनाब वीरेन्द्र वीर साहिब , लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,
बहुत ही सामयिक-प्रासंगिक और प्रदत्त विषय पर बेहतरीन लघुकथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आ दाब, लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
I
वर्तमान में घटित हो रहे घटनाओं पर आधारित बढ़िया रचना, तमाम बाबा इन्हीं सब क्रियाकलापों में लिप्त हैं. बहुत बहुत बधाई आपको आ तस्दीक़ अहमद खान साहब
जनाब विनय कुमार साहिब , लघुकथा पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
समसामयिक समस्या पर सुन्दर प्रस्तुति आ0तस्दीक़ अहमद खान साहब ःः
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