For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार 89 वां आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

22 सितंबर 2018 दिन शनिवार से 23 सितंबर 2018 दिन रविवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

हरिगीतिका छंद और शक्ति छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

हरिगीतिक छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  22 सितंबर 2018 दिन शनिवार से 23 सितंबर 2018 दिन रविवार तक यानी दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 7074

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीया बबीता गुप्ता जी! आपका हार्दिक धन्यवाद.......

हक़ीक़त बयां करती बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय गंगाधर शर्मा' हिंदुस्तानी' साहिब।

आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी साहब! आपका हार्दिक धन्यवाद.......

आदरणीय गंगा धर शर्मा जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती उत्तम प्रस्तुति है यह आपकी. हार्दिक बधाई स्वीकारें. हरिगीतिका छंद की तरह देखें तो यह साढे आठ छंद हुए हैं. 

फिर भी /ये /पानी की समस्या है अभी बाकी बहुत.

हर बार जीवन की लड़ाई खुद /ही/ लड़नी है इन्हें.

भ्रष्टाचरण ही मूल में आती नजर इसकी वजह.......आती या आता 

हर बार जीवन की लड़ाई खुद /ही /लड़नी है इन्हें.

काली अँधेरी रात भी तम की ठहर पाती नहीं.
सूरज न सोया रात भर चलता रहा ठहरा नहीं........तुकांतता का पालन नहीं हुआ है.

गजराज को जब ग्राह ने अपनी जकड़ में ले लिया.
आवाज देते ही बचा अपनी शरण में ले लिया.............यहाँ भी छान्दसिक तुक का अभाव है 

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी! सादर अभिवादन....प्रथमतः आपका हार्दिक धन्यवाद ...साढ़े आठ छंद का होना आपकी प्रतिक्रिया के बिना मुझे ज्ञात नहीं हो पाता ...वजह ..लिखते वक्त पंक्तियों की गणना की ही नहीं गयी ...त्रुटि की और ध्यान दिलाने के लिए आपका विशेष आभार....

"फिर भी /ये /पानी की समस्या है अभी बाकी बहुत."
"हर बार जीवन की लड़ाई खुद /ही /लड़नी है इन्हें."

उक्त दोनों स्थानों पर "ये" एवं "ही" को शीघ्रता से पढ़े एवं बोले जाने के कारण इनका भार लघु करके १ (एक) लिया गया है...पूर्व वर्ती कवियों ने भी इसका प्रयोग आवश्यकतानुरूप किया है ..उदाहरणार्थ महाकवि रसखान के इस सवैया की यह पंक्ति देखें...
मानुष हौं (तो) वही रसखान बसौं ब्रज गोकुल गाँव (के) ग्वारन.
इसमें मात्रा भार २११ २११ २११ २११ २११ २११ २११ २११ के अनरूप (तो) एवं (के) का भार १(एक)यानि लघु माना गया है...

"भ्रष्टाचरण ही मूल में आती नजर इसकी वजह.......आती या आता "
आपके सुझावानुसार 'आती' को 'आता' किया जा सकता है....

"काली अँधेरी रात भी तम की ठहर पाती नहीं.
सूरज न सोया रात भर चलता रहा ठहरा नहीं........तुकांतता का पालन नहीं हुआ है.
गजराज को जब ग्राह ने अपनी जकड़ में ले लिया.
आवाज देते ही बचा अपनी शरण में ले लिया.............यहाँ भी छान्दसिक तुक का अभाव है "

मूलतः हरिगीतिका छंद संस्कृत का है, जहाँ तुकांतता का पालन अनिवार्य नहीं माना गया है...उदाहरणार्थ....
"। । ऽ । ऽ ऽ ऽ ।ऽ । ।ऽ । ऽ ऽ ऽ । ऽ
मम मातृभूमिः भारतं धनधान्यपूर्णं स्यात् सदा ।
नग्नो न क्षुधितो कोऽपि स्यादिह वर्धतां सुख-सन्ततिः ।
स्युर्ज्ञानिनो गुणशालिनो ह्युपकार-निरता मानवः,
अपकारकर्ता कोऽपि न स्याद् दुष्टवृत्तिर्दांवः ॥"

तथापि आपके परामर्श एवं विश्लेषण हेतु आपका पुनः हार्दिक आभार...

जी ! आदरणीय गंगा धर शर्मा साहब  सादर, आपका कहना सही है की सवैया छंद में प्राचीन रचनाकारों द्वारा कुछ जगह लघु की जगह गुरु का प्रयोग किया है. किन्तु यह सवैया छंदों तक ही सीमित रहा है. इस आधार पर अन्य मात्रिक छंदों में इस तरह की छूट की गुंजाईश देखना उचित नहीं है. इससे मात्रा गणना का आधार ही समाप्त हो जाएगा.  दूसरा आपने कहा है हरिगीतिका संस्कृत छंद है. //जहाँ तुकांतता का पालन अनिवार्य नहीं माना गया है.// ..सिर्फ हरिगीतिका ही नहीं सभी सनातनी छंद संस्कृत के ही छंद हैं. किन्तु जब इन छंदों को हिंदी में रचा जाने लगा तब इसमें तुक की शर्त और जोड़ दी गई और सभी हिंदी छंदों में इसका पालन देखने मिलता है. इसलिए हरिगीतिका को संस्कृत का छंद है इसलिए तुक का पालन आवश्यक नहीं है, कहा जाना उचित नहीं है. संस्कृत में जबतक छंद रचे जाते थे तब तक तुक का कोई नियम था ही नहीं. सादर.

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी! आपकी छंद के प्रति सजगता एवं चिंता सचमुच ही स्तुत्य है अतः आपका परामर्श  स्वतः ही वरेण्य हो जाता है....

सादर...

बहुत खूब, आदरणीय अशोक भाई जी.  वस्तुतः, वर्णिक छंदों और मात्रिक छंदों के बीच भाषा की वाचिक परम्परा भी अपनी महती भूमिका निभाती है. सवैया ही नहीं कोई छंद जो वर्णिक हो और गणॊं के विशेष समुच्चय की आवृति हो तो गणों के हिसाब से शब्दों का उच्चारण होता है. 

निवेदन है, आदरणीय गंगाधर शर्माजी, आप निम्नलिखित लिंक पर सवैया में तथाकथित छूट का कारण समझ लेंगे. 

http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:To...

सादर

जनाब गंगा धर शर्मा जी आदाब,प्रदत्त चित्र पर हरिगीतिका छन्द का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

जनाब अशोक रक्ताले जी की बातों का संज्ञान लें ।

एक शिकायत आपसे ये है कि आप हर आयोजन में अपनी रचना पोस्ट करने के बाद पलटते नहीं,कृपया मंच पर अपनी सक्रियता दिखाएँ ।

आदरणीय समर कबीर साहब! सादर अभिवादन...छंद पर मेरे प्रयास पर आपके प्रोत्साहन हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद...
आदरणीय रक्ताले जी की विशद प्रतिक्रिया के लिए मैं उनका हार्दिक आभारी हूँ एवं तदनुरूप और सुधार का प्रयास सतत करने का प्रयास करूँगा....
आदरणीय आपकी शिकायत बिलकुल जायज है...मैं पुरजोर कोशिश करूंगा की भविष्य में शिकायत को दूर कर सकूं.....आपके इस अपनत्व के लिए आपका पुनः आभार..

मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद ।

आदरणीय गंगा शरणा शर्मा हिन्दुस्तान जी, आपकी प्रस्तुति आपके सतत प्रयास, उसकी गहराई और इस हेतु आवश्यक नैरंतर्य की बानग़ी है। आपने प्रत्येक कोण से चित्र को परखा और शाब्दिक करने का प्रयास किया इसे पौराणिक बिम्बों का भी सम्बल मिला यह श्लाघनीय है किन्तु प्रस्तुतीकरण में भाव-प्रस्तुति का भी एक क्रम होना चाहिए। चूँकि, आप अपनी प्रस्तुत रचना के सापेक्ष समर्थ अभ्यासी प्रतीत हो रहे हैं, अतः, इसका आपकी प्रस्तुति में अभाव दिखना खल रहा है। 

आगे जो कुछ मैं कहना चाह रहा था, आदरणीय अशोक भाई जी ने विस्तार से कह दिया है। इसके प्रति सचेत रहना आवश्यक है। साथ ही, आदरणीय समर साहबने जिस ओर आपका ध्यान आकृष्ट किया है वह अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। रचना प्रस्तुत कर उस पर दुबारा न आना कई तरह के तथ्यों को जानने से वंचित रखता है। आप गंभीर अभ्यासी प्रतीत हो रहे हैं, आप मेरे कहे का संज्ञान लेंगे।

हरिगीतिका छंद पर आधारित प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ. 

सादर 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. नीलेश भाई , हमेशा की तरह आपकी एक और अच्छी ग़ज़ल पढ़ने को मिली , ग़ज़ल के लिए आपको बधाई , गिरह …"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शिज्जू भाई बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने , हार्दिक बधाई , गिरह का शेर अच्छा लगा , आपको बधाई "
10 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , अच्छी ग़ज़ल कही कही है आपने , और चर्चा और सलाहें भी खूब हुई है , ग़ज़ल के लिए आपको…"
12 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी, मुसहफी के शेर में जिस घटना का वर्णन है वह जल प्रलय की स्थिति पर है जब नूह या नोआ ने अपनी…"
24 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल अच्छी है फिर भी कुछ विचार प्रस्तुत हैं। राष्ट्र-निष्ठा के प्रकट उद्गार भी करते रहे सारे…"
46 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. तिलकराज सर  अवतार वाला शेर एक तरह से उनके दंभ पर तंज़ है जो स्वघोषित धर्म रक्षक बने…"
50 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय निलेश जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला। हार्दिक धन्यवाद। जो आपने कहा है वैसा प्रयास…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वक्त बदला तो उसे स्वीकार भी करते रहे जिन्दगी में प्यार का व्यवहार भी करते रहे इसमें दोनों पंक्तियॉं…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अपने दिल को हर घड़ी लाचार भी करते रहे (दिल दिया, देकर उसे लाचार भी करते रहे, दिल देने वाला ही लाचार…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"😂😂😂😂 जी ये भी सही कह रहें हैं आप। सौरभ जी आपका इंतज़ार है। 😁😁 ख़ैर तूफ़ान पर ये शेर देखें: आसाँ नहीं…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"शेर से यह ध्वनित नहीं हाे रहा है कि सभी देवता या कोई देवता विशेष का आचार विचार हमेशा ही व्यभिचार का…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपके अनुभव को विचार में लेते हुए आपकी ग़ज़ल को एक अन्य दृष्टिकोण से देख रहा हूँ मैं और आपके शेर में…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service