आदरणीय साथिओ,
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बेहतरीन रचना,सतर्क करती, बधाई इकबाल सरजी।
बहुत बढ़िया कथा सचेत करती हुई हार्दिक बधाई आदरणीय मुज़्ज़फ़्फ़र इक़बाल सिद्धकी जी
आजकल यह धोखाधड़ी खूब हो रही है, बढ़िया समसामयिक रचना विषय पर. बहुत बहुत बधाई आ मुज़फ्फर इक़बाल सिद्दीकी साहब
लघुकथा : आजकल
आजकल संचार-क्रांति ने जीवन में तहलका सा मचा दिया है। कल शाम ही मेरे पति बता रहे थे कि पिछले महीने ही बहुत से नए कर्मचारियों की ऑफिस में भर्ती हुई थी। उनमे से कल एक कर्मचारी रेल से कुचल गया। तहकीकात करने पर पता चला कि आशीष कान में ईयरफोन लगा कर पटरियाँ पार कर रहा था। आशीष अपनी माँ का इकलौता पुत्र था। पिछले वर्ष ही आशीष के पिता की मृत्यु हुई थी। माँ ने जैसे-तैसे आशीष का मुख देखकर अपने आप को संभाला, समय के साथ आगे बढ़ने लगी, लेकिन आज कौन उसे संभाले और हिम्मत दे। लोग तो बस एक ही बात कह रहे हैं ; आजकल युवाओं को पता नहीं क्या हो गया है।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
आदाब। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया प्रयास। हार्दिक बधाई आदरणीया अनीता शर्मा साहिबा। सीधे सपाट रिपोर्ट माफ़िक कहने क बजाय कुछ बातें पात्रों के संवादों में भी कही जा सकती हैं मेरे विचार से।
रचना पर ध्यान देने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत दुखद घटना. हार्दिक बधाई इस संवेदना के लिए. यह एक सफल रचनाकार का गुण होता हैं. बहुत उम्दा प्रयास.
रचना के मर्म को समझने के लिये हार्दिक आभार
आदरणीया अनीता शर्मा जी, दिए गए विषय पर अत्यंत मार्मिक रचना प्रस्तुति। बधाई।
आदरणीय नीलम जी हार्दिक धन्यवाद
लघुकथा का अच्छा प्रयास है आदरणीया अनीता जी. आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी की बात से मैं भी सहमत हूँ. अभी यह रचना केवल रिपोर्ट सरीखी ही है. इसे लघुकथा में ढालने की आवश्यकता है. उनकी बातों का संज्ञान लीजिए. शीर्षक भी बेहतर हो सकता है. इस प्रस्तुति पर मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
हार्दिक धन्यवाद
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