आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय विनय जी,रचना आपको भायी यह मेरा सौभाग्य है।आपका बहुत बहुत आभार।
बहुत खूबसूरत बिम्ब चुने हैं और रोचक वार्तालाप भी। बधाई।
आभार आपका।
आ. भाई मनन जी, बेहतरीन कथा हुयी है । हार्दिक बधाई ।
आपका आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई।
आजकल मी टू मूव खूब चलन में है और इसके आधार पर व्यंग्यात्मक शैली में लिखी बढ़िया लघुकथा हुयी है। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार जी।
आपका आभार आदरणीया नीलम जी।
आदरणीय मनन जी, सच कहूँ तो आपकी लघुकथा बेहद पसन्द आयी. कल्पना का शानदार प्रयोग किया है आपने. कुछ न कह के भी सब कुछ कह दिया. इस शानदार व्यंग्यात्मक प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार कीजिए. कुछ बातों पर ध्यान दीजिएगा :
1. //तुम जवाब क्यों नहीं देते?//
2. //तो फिर यह फरियाद कैसी?//
3. संवादों को इनवर्टेड कॉमा में होना चाहिए न कि डैश (-) के बाद.
4. पूर्ण अथवा अल्पविराम आदि के बाद स्पेस होना चाहिए. '
5. इतनी अच्छी लघुकथा में साधारण शीर्षक अखर रहा है.
सादर.
आदरणीय महेंद्र जी,लघुकथा ने आपको प्रभावित किया,पसंद आई, यह बहुत ख़ुशी की बात है।हाँ, क्रमांक 1 एवं 2 में कथित आपके आशय को मैं नहीं समझ पाया। और जहाँ तक इनवर्टेड कमा का सवाल है,मेरा मानना है कि डैश से काम चलाने में कुछ खराबी नहीं है।हाँ,फायदा यह है कि दोनों तरफ कमा लगाने से बच जाते हैं।विशेष तौर पर शीर्षक चिंतन का सबब है।मुझे भी लगा कि कुछ और हो,पर 'आजकल' की परिस्थिति ने उसे "आजकल" तक सीमित कर दिया। आपके स्नेह से अभिभूत हूँ,सादर।
1. जबाब = जवाब
2. "फ़रियाद" स्त्रीलिंग है इसलिए उसके साथ "कैसा" की जगह "कैसी" आना चाहिए.
सादर.
आज के सबसे चर्चित विषय को अनूठे और रोचक ढंग से पेश किया है आपने आदरणीय मनन जी हार्दिक बधाई आपको
आदरणीया प्रतिभा जी,आपको हार्दिक धन्यवाद।
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