For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (ख़त्म कर के ही मुहब्बत का सफ़र जाऊंगा)

(फाइ इलातु न _फ इ लातुन _फ इ लातुन _फ़े लुन)

ख़त्म कर के ही मुहब्बत  का सफ़र जाऊंगा l
तू ने ठुकराया तो कूचे में ही मर जाऊँगा l

जो भी कहना है वो कह दीजिए ख़ामोश हैं क्यूँ
आपका फ़ैसला सुनके ही मैं घर जाऊँगा l

वकते आख़िर है मेरा पर्दा हटा दे अब तो
छोड़ कर मैं तेरे चहरे पे नज़र जाऊँगा l

आ गए वक़ते सितम अश्क अगर आँखों में
मैं सितमगर की निगाहों से उतर जाऊँगा l

लौट कर आऊंगा मैं सिर्फ़ तू इतना कह दे
जिंदगी भर मैं उसी रह पे ठहर जाऊँगा l

मैं इबादत की तरह करता रहा इश्क़ मगर
सोचती ही रही दुनिया के मैं डर जाऊँगा l

उसने तस्दीक सहारा न दिया गर मुझको
छोड़ कर उसका मैं दर कौन से दर जाऊँगा l

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 916

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 29, 2019 at 7:54pm

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Balram Dhakar on December 24, 2018 at 11:46pm

जनाब तस्दीक साहब, ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए दिली मुबारक़बाद।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 12, 2018 at 10:39am

जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब, ग़ज़ल पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 12, 2018 at 10:38am

जनाब ब्रजेश कुमार साहिब, ग़ज़ल पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by नाथ सोनांचली on November 11, 2018 at 5:12pm

आद0 तस्दीक अहमद खान साहब,, सादर अभिवादन।। बहुत बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने। दाद के साथ बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 9, 2018 at 10:09am

वाह क्या खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय..बधाई

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 8, 2018 at 8:54pm

जनाब अजय साहिब  , ग़ज़ल पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 8, 2018 at 8:53pm

मुह तरमा नीलम साहिबा, ग़ज़लपर आपकी  सुंदर प्रतिक्रियाऔर हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I  

Comment by Ajay Tiwari on November 8, 2018 at 8:29pm

आदरणीय तस्दीक साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.

Comment by Neelam Upadhyaya on November 8, 2018 at 3:31pm

आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहब, बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service