आदरणीय साथिओ,
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वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के सत्य को उद्घाटित करती बहुत ही सफल लघुकथा के लिए बहुत-बहुत बधाई आदरणीय डॉ. टी. आर. शुक्ल जी.
अति सुंदर एक क्ताक्षपूर्ण लघुकथा रची है आ० डॉ टी आर सुकुल जी। मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
दोषपूर्ण शिक्षा व्यवस्था के परिणामों के प्रति आगाह करती बहुत बढ़िया कथा हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ सुकुल जी
'संवेदना'
मौलिक एवं अप्रकाशित
वाह। इंसानियत का फर्ज सबसे बड़ा फ़र्ज़ है और उसको निभाने का परिणाम मधुर ही आता है। सुंदर संदेश
आद० अजय गुप्ता जी आपको लघु कथा पसंद आई दिल से बहुत बहुत आभार आपका .
वाह। ऐसा भी होता ही है। ऊपरवाला सबसे अहम साक्षात्कार या परीक्षा लेकर तुरंत परिणाम देता है हर रोज़! समझ और परख सकें, तो हम विज्ञान से ऊपर ईश्वर के महत्व को समझ नेक राह पर यूं ही चला करें। बेहतरीन सृजन हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी। शीर्षक ज़रा सामान्य रह गया। शीर्षक सुझाव : "हार की जीत"/"विजयी भव"/ विजेयता/'जीतती हार'/ विजयी संवेदना/ "हैवान और शैतान : समय बलवान"/ 'समय बलवान'/ 'ईश्वर से साक्षात्कार'/ साक्षात्कार/ ''सर्वे भवन्तु साक्षात्कार:"... ... आदि सा कोई। कम्पनी का नाम देना आवश्यक नहीं लगता। कुछ शब्द कम किए जा सकते हैं मेरे विचार से। सादर।
आद० उस्मानी जी आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ .सभी शीर्षक अच्छे सुझाए हैं आपने | 'विजयी सम्वेदना' ज्यादा सूट करेगी शायद
कृपया /हैवान और शैतान/ की जगह /हैवान और इंसान/पढ़िएगा। सादर।
वाह बहुत सुंदर आदरणीया राजेश जी, अंतिम पंक्तियों ने सच में बहुत सुंदर प्रभाव दिया है रचना को .... //सोचा था सर परिणाम और फ़र्ज़ के बीच जद्दोजहद भी हुई किंतु परिणाम की चिंता मेरे फ़र्ज़ और संवेदनाओं से हार गई”//
सादर बधाई आदरणीया इस रचना के लिए...
आद० वीरेंद्र वीर जी आपको लघु कथा पसंद आई दिल से बहुत बहुत आभार
वाह, बहुत खूबसूरत और प्रेरणादायी लघुकथा प्रदत्त विषय पर, काश हर व्यक्ति हेमंत की ही तरह सोचे तो समाज कितना सुन्दर हो जाए. बहुत बहुत बधाई आ राजेश कुमारी जी
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