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शारदा जी!
हिन्दीभाषियों के लिये उर्दू की बहरें और तख्ती के नियम एकदम ग्रहण कर पाना कठिन होता है. इसलिए हिन्दी व्याकरण के अनुसार मात्रा गणना कर हर पंक्ति को संतुलित कर लें. अ, इ, उ, ऋ को १ और शेष आ, ई, ऊ, ओ, औ, अं आदि होने पर २ मानकर मात्रा गिनें तो अंतर स्पष्ट होगा. मात्रा के लघु या दीर्घ होने पर उच्चारण में लगनेवाला समय घट या बढ़ जाता है. हर पंक्ति की मात्राएँ समान हों तो लगनेवाला समय समान होने से लय सरल होगी.
बहुत सुन्दर भाव ! शारदा जी ! आप तो अवश्य ही गा लेती होंगीं कृपया इसे गाकर ही लिखें !
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