आदरणीय साथिओ,
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अच्छी और संदेशपरक लघुकथा कही है भाई उस्मानी जी. हार्दिक बधाई प्रेषित है. लम्बे संवादों को काट-छीलकर चुस्त बनाने का प्रयास करें. गुप्तांगों का ज़िक्र करते हुए संकेतात्मक भाषावली का उपयोग बेहतर होता है.
सबेरा=सवेरा
आदाब। रचना पर आपकी त्वरित टिप्पणी, हौसला अफ़ज़ाई व सुझाव, मार्गदर्शन पाकर धन्य हुआ। रचना पोस्ट करते समय मैं किसी तरह की कांट-छांट नहीं कर सका और न ही मुझे वैकल्पिक सांकेतिक शब्द/तरीक़े सूझे। क्या जीव-विज्ञान के टर्म/शब्द से भी परहेज़ करना होगा? इंटरनेट में खोजा था, तो सबेरा और सवेरा दोनों शब्द व दोनों के अर्थ मिले। आपकी टिप्पणी से सही शब्द की जानकारी मिली। हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मंच संचालक महोदय श्री योगराज प्रभाकर साहिब।
जनाब भाई शहज़ाद उस्मानी साहिब आ दाब, प्रदत्त विषय पर ज़बर्दस्त सुंदर लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l
आदाब। बहुत-बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई हेतु जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब।
आप तो कलम और भावना में तालमेल बैठा गए. हार्दिक बधाई.
आदाब । रचना पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रीय 'प्रकाश' साहिब। इसे बेहतर बनाने हेतु आप सभी मार्गदर्शन भी प्रदान कीजिएगा।
विषय बहुत बढ़िया चुना है आपने और प्रस्तुति भी बढ़िया है. आ योगराज सर की बातों पर गौर कीजिये, बहुत बहुत बधाई इस विचारोत्तेजक रचना के लिए आ शेख शहज़ाद उस्मानी साहब
जी बिल्कुल। रचना पर समय देकर प्रोत्साहित करने हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब विनय कुमार साहिब। वैकल्पिक शब्दों व संभावित कांट-छांट से इसे बेहतर बनाने हेतु आप सभी मार्गदर्शन भी प्रदान कीजिएगा।
जनाब उस्मानी साहब बहुत बहुत मुबारकबाद अच्छी लघुकथा के लिये आदाब
आदाब जनाब आसिफ़ ज़ैदी साहिब। लघुकथा गोष्ठी में आपकी उपस्थिति और सहभागिता से ख़ुशी हासिल होती है। मेरी इस रचना पर समय देकर मुझे प्रोत्साहित करने हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया।
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदाब। मेरे इस नवीन प्रयास पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और मुझे प्रोत्साहन हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहिब।
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