आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीया कनक दी।
शबरी घर रामचंदर
रातों रात गाँव में फेमस हो गई गंगू। अखबार टीवी हर तरफ एक ही खबर कि कैसे वोट मांगने निकले रामचंदर बाबू उस बूढी के कच्चे मकान में रुके और खुद उसकी रसोई में घुसकर मक्के की रोटी और चटनी लाये और जमीन पर बैठकर खाई। अखबार वालों ने गंगू का नया नाम शबरी दे दिया।' शबरी के घर रामचंदर' किस्म की ख़बरों से अखबार रंग गए।
"अब तो सबरी माई उस थाली को जड़वा कर कच्ची दीवार में टंगवा ले जिसमे रामचंदर जी जीमे थे। रोटी मिले ना मिले कम से कम माई उसे देखकर बाकी उम्र संतोस से तो पेट भर ले। " चाय की गुमठी में बैठे बुज़ुर्ग ने ने कहा।
"क्या कहते हो मास्साब ये डिरामे विरामे काम करेंगे कि नहीं ?" चाय वाले ने गाँव के स्कूल के मास्टर साहब को चाय पकड़ाते हुए प्रश्न दागा।
" शबरी हो या कोई और सबकी आँखें खुली हैं भैया। अब ना भरमा सकता कोई ।" मास्टर साहब ने आवाज़ करते हुए चाय सुड़की।
" पर डिरामा है जबरदस्त । खानदानी अमीर रामचंदर नेता जी , कच्चे घर में बैठकर मोटे अनाज की कच्ची पक्की रोटी खा रहे हैं। और तुम क्यों मुस्कुरा रहे हो भाई ? सामने बैठे कस्बे के एक अखबार के युवा संवाददाता के चेहरे पर रहस्य्मय मुस्कान देखकर बुजुर्ग ने पूछा।
"नहीं नहीं कुछ नहीं।ला एक चाय और पिला यार बची खुची नींद भी खुले।" युवक की मुस्कान अब और चौड़ी हो गई थी। उसके कानों में वो शब्द गूँज रहे थे जो गंगू ने उससे कल कहे थे। "बेटा , जो रामचंदर जी की थाली में रोटी थी वो हमारे चूल्हे की रोटी तो थी नहीं। अपने साथ ही लाये थे सायद। खेर हमें क्या। इत्ते बड़े पैसे वाले हमारी कुटिया में आये ,ये ही क्या कम है."
मौलिक व् अप्रकाशित
मुहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब,प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदाब। बढ़िया उम्दा विचारोत्तेजक रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय साहिबा।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |