आदरणीय साथिओ,
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वाह वाह बहुत ख़ूब मुबारकबाद जनाब उस्मानी साहब, वाह बेहतरीन लबो लहजे से सजी ख़ूबसूरत कहानी के लिए दिली मुबारकबाद .
आदाब। समय देकर इतने ख़ूबसूरत अंदाज़ और लफ़्ज़ों में मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब सलीम रज़ा 'रेवा' साहिब।
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी आपकी यह लघुकथा मुझे बहुत पसंद आई । आपने बहुत ही गूढ़ बात कही है। हार्दिक बधाई इस शानदार रचना के लिए।
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।बेहतरीन लघुकथा।परिवारों में घरेलू काम काज करने वाली महिलाओं के प्रति उस परिवार के मर्दों की नज़र और नीयत पर सवाल उठती सुंदर प्रस्तुति।
आदाब। आप सभी को मेरा यह अभ्यास पसंद आया, मिहनत सफल हुई। रचना पर समय देकर मुझे यूं प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब।
आदाब। आप सभी को मेरा यह अभ्यास पसंद आया, मिहनत सफल हुई। रचना पर समय देकर मुझे यूं प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रीय 'प्रकाश' साहिब।
बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय शेख सरजी।
आदाब। रचना का अवलोकन कर व इसे पसंद कर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा।
पसंद
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' दोनों से', नवयुवक ने कहा और लड़कियाँ चौंक गयीं।पश्चिमी लिबास में सजी मॉल जाती हुई प्रगल्भा ने सोचा था कि आधुनिक युग का नौजवान भला मेरे बारे में कैसे सहमति नहीं देगा? देशी वेशभूषा में पूजा की थाल लिए मंदिर जाती बाला ने सोचा था कि फैशन की चकाचौंध में भला विदेश से पढ़कर आया युवक उसे क्यों पसंद करेगा?
युवक-युवतियों के मंडल द्वारा पूछे जाने पर लड़के ने अपनी शादी के बारे में बात स्पष्ट की कि पत्नी ऐसी चाहिए जो बाहर-बाहर बाहर के माहौल के अनुरूप हो, पर अंदर से वह हमारी परम्पराओं के अनुसार आचरण को प्रोत्साहित करे।
प्रगल्भा और पूजा की थालीवाली बाला एक-दूसरे को देख रही थीं।मित्र-मंडली चकित थी।
' हम भी इसमें हामी भरते हैं', लड़कों के दल से आवाज आई।
'हम भी', लड़कियाँ कह रही थीं।
"मौलिक व अप्रकाशित"
जनाब मनन कुमार जी बहुत बहुत बधाई सुंदर लघुकथा की।मोहतरम
आभार आदरणीय।
विषय के संदर्भ में सुंदर और बढिया रचना मनन कुमार जी. बधाई स्वीकार करे. सादर
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