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स्वागत है भाई वीरेंद्र जी ! आपका हृदय से आभार मित्र !
//आज नफरत की ये दीवार गिराई जाए.
आओ मिल-जुल के कोई बात बनाई जाये. //
//मतला बहुत बढ़िया बना है - बहुत सादगी से कही गई बात में बहुत सुन्दर संदेश ! //
//देखो दुनिया में ये तकदीर अहम है यारों,
छोड़ इसको यहीं तदवीर बनाई जाए.//
वाह वाह वाह - बहुत खूब !
//वो भी अपना न लें अन्याय के आगे अनशन,
सारे बच्चों को यही बात सिखाई जाये.//
वाह वाह - क्या कहने है भाई अम्बरीश जी ! आज ये वक़्त आ गया है कि अपने बच्चों को ही अन्याय से न लड़ने का सबक देना पड़ रहा है ! बहुत नवीन विचार है अम्बरीश भाई जी !
//सोंच जो नाज़ से पाले हैं सभी नें बच्चे,
आस उनसे न किसी रोज लगाई जाये.//
लख टके की बात कह दी - वाह वाह !
//यार झगड़ो न कभी जाति पंथ मज़हब पर,
तुम्हारे दिल में जली आग बुझाई जाये. //
बहुत ही संदेशपरक शेअर कहा है - बहुत खूब !
//मुल्क में मेल अमन चैन प्यार कायम कर,
आज दुनिया को नयी राह दिखाई जाये.//
वाह वाह वाह ! बहुत ज़रूरी है दुनिया के कोने कोने में अमन-ओ-मोहब्बत का संदेश पहुंचाना ! यह शे'र हमारे वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन की तर्जुमानी करता है ! इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए आपकी दिल से बधाई देता हूँ अम्बरीश भाई जी !
अम्बरीश जी बहुत खूब...
मुल्क में मेल अमन चैन प्यार कायम कर,
आज दुनिया को नयी राह दिखाई जाये.
आमीन
आदरणीय राणा भाई ! तही दिल से आपका बहुत बहुत शुक्रिया .....
नए अक़्स से तार्रुख़.. ये क्या अपना ही है?!!
आदरणीय, केशवदास के रचे अनेकानेक छंद मन में घूम गये.. मनस-चलचित्र की तरह..!
इस तरही-मुशायरे को प्रारम्भ करने के पीछे भाई राणाप्रसादजी के कारण बहुत स्पष्ट थे. इसका उद्येश्य यही है कि ग़ज़ल की विधा को आज के पाठकों के मध्य आम करना और इस हेतु सीखने-सिखाने का एक रोचक माहौल तैयार करना.
मेरा इतना ही कहना है.
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