For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शृंगारिक दोहे :

शृंगारिक दोहे :


नैनों से बरखा बहे, जब से छूटा हाथ।
नींदें दुश्मन हो गईं, कब आओगे नाथ।1।

एक श्वास तुम साथ हो, एक श्वास तुम दूर।
कैसी है ये दिल्लगी, कुछ तो कहो हुज़ूर।2।

कातिल हसीन शोखियाँ, हैं आपकी हुजूर।
नज़र न कर बैठे कहीं , बहका हुआ कुसूर।3।

सावन की बौछार में, भीगा हुआ शबाब।
बहके रिंदों की कहीं, नीयत हो न ख़राब ।4।

तुम तो साजन रात के, तुम क्या जानो पीर।
भोर हुई तुम चल दिए, नैन बहाएँ नीर।5।

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on May 24, 2019 at 5:35pm

आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सृजन पर आपकी दिलकश प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 23, 2019 at 6:34am

आ. भाई सुशील जी, सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on May 22, 2019 at 7:11pm
आदरणीय narendrasinh chauhan
जी सृजन पर आपकी दिलकश प्रशंसा का दिल से आभार।
Comment by narendrasinh chauhan on May 21, 2019 at 6:54pm

हार्दिक बधाई आदरणीय । बेहतरीन दोहे।

Comment by Sushil Sarna on May 21, 2019 at 12:33pm

आदरणीय  Tasdiq Ahmed Khan  जी सृजन पर आपकी दिलकश प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 21, 2019 at 12:33pm

आदरणीय  TEJ VEER SINGH जी सृजन पर आपकी दिलकश प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 21, 2019 at 12:18pm

जनाब भाई सुशील सरना साहिब, सुंदर दोहे हुए हैं मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 

Comment by TEJ VEER SINGH on May 21, 2019 at 10:28am

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी। बेहतरीन दोहे।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service