For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

दोहे


तरुवर  देते  फूल फल, नदिया  देती  नीर
मानव मानव को मगर देता नित क्यों पीर।१।


ओछा मन हद तोड़ता, ओछी नदिया कूल
जैसे चन्दन  से  अधिक, माथे चढ़ती धूल।२।


जो बोता  है  पेड़  इक, बाँटे सबको छाँव
काटे जो वट रात दिन, जलते उसके पाँव।३।


अर्थी, पूजा, प्रीत को, मिले न आगन फूल
इस युग बोने सब लगे, कैक्टस कैर बबूल।४।


मरने पर जिसको रही, गंगाजल की चाह
उसने  गंगा  ओर  की, हर  नाले की राह।५।


जहाँ पसीना नित बहे, कनक उगलती रेत
कर्महीन को इस जगत, बन्जर उर्वर खेत।६।


अधरों पर यदि प्यास है, चल नदिया के तीर
सूखे  पनघट  बैठकर, किसे  मिला  है  नीर।७।


काठ न सीला हो जहाँ, धुआँ रहित नित आग
बिन काजल  की  कोठरी, किसे  लगा है दाग।८।


जाने कैसा हो गया, इस युग में हर गाँव
बोकर बीज बबूल के, ढूँढे पीपल छाँव।९।


वीर शिवाजी  जो  नहीं, माँ  गौहर सी नार
और शिवाजी को सदा, गौहर माँ का सार।१०।


मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 684

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 23, 2019 at 6:18am

आ. भाई नरेन्द्र सिह जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 23, 2019 at 6:16am

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 22, 2019 at 5:09pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by narendrasinh chauhan on May 21, 2019 at 6:49pm

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी। बेहतरीन दोहे।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 21, 2019 at 12:22pm

जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब, उम्दा दोहे हुए हैं मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 

Comment by TEJ VEER SINGH on May 21, 2019 at 10:33am

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी। बेहतरीन दोहे।

जाने कैसा हो गया, इस युग में हर गाँव
बोकर बीज बबूल के, ढूँढे पीपल छाँव।९।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 21, 2019 at 9:46am

आ. भाई सुरेंद्र जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on May 20, 2019 at 5:45pm

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। एक से बढ़कर एक बेहतरीन दोहे लिखे आपने। इन दोहों के लिए बधाई प्रेषित है।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service