आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
धर्म और मज़हब से बढकर होता है इंसानियत का रिश्ता।संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आद० तस्दीक़ अहमद खान जी ।
मुहतरमा नीता साहिबा, लघुकथा पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
इंसानियत को बयान करती बहुत ही सुंदर रचना हार्दिक बधाई आदरणीय अहमद साहब।
जनाब ओमप्रकाश साहिब, लघुकथा पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
इंसानियत का रिश्ता तो कम से कम अडोस पड़ोस में कायम रखना ही चाहिए। हमारे यहां कहावत चलती हैं कि मुसीबत में पड़ोसी रिश्तेदार से पहले पहुचते हैं।हार्दिक बधाई आ. तस्दीक़ अहमद खान जी
मुहतरमा अर्चना साहिबा, लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
अच्छी लघुकथा के लिए बधाई मोहतरम
मुहतरमा राजेश कुमारी साहिबा, लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
सच्चाई का आईना दिखाती बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय तासिक सरजी ।
मुहतरमा बबीता साहिबा, लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया l आपकी हिन्दी टाइप लगता है सही नहीं
मेरा नाम तस्दीक अहमद खान है l
चौकन्नी (लघुकथा)
सुनीता की हवेली के पास ही ,कॉलेज की नई बिल्डिंग बन रही थी। मजदूर पीने का पानी उन्ही के यहाँ से ले जाते थे ,वो लगभग सभी को जानने लगी थी । सुनीता की पाँच साल की बेटी गुड़िया सब से हिल मिल गई थी। वो खेलते खेलते कई बार उस बिल्डिंग में चली जाया करती थी । अब कई नए मजदूर और आ गए थे। सुनीता को भूरा के हाव भाव कुछ ठीक नहीं लग रहे थे, उसने इस बात का जिक्र घर में सभी से किया लेकिन किसी ने भी इस बात को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन सुनीता अब पहले से ज्यादा सतर्क एवं चौकन्नी रहने लगी थी, पिछले दस मिनट से सुनीता गुड़िया को खाना खिलाने के लिए आवाज लगा रही थी ,वो घर में थी ही नही तो जवाब भी नही आया ,एकदम सुनीता का माथा ठनका वो भाग कर पास की बिल्डिंग में गई वहाँ से भूरा गायब था ,तुरन्त उसने सभी को एकत्र किया,सभी से गुड़िया को तलाशने को कहा ,और वास्तव में आज सुनीता की सतर्कता से एक मासूम का जीवन खतरे से बाहर था ।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
कथ्य सुंदर चुना है आपने लेकिन रचना को बहुत जल्दी समाप्त करने की कोशिश की आपने. रचना को थोडा विस्तार (विशेषकर अंत में) देकर रचना को बढ़िया बनाया जा सकता है... बधाई अनीता जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |