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एक विरह गीत

===========

रस्सा-कशी खेल था जीवन

एक तरफ का रस्सा छोड़ा |

इतनी भी क्या जल्दी थी जो

मीत अचानक नाता तोड़ा |

**

जीवन नदिया अपनी धुन में

अठखेली करती बहती थी |

और खुशी भी इस आँगन में

अपनी मर्जी से रहती थी |

सब कुछ अपने काबू में था

कैसे रहना क्या करना है,

हाँ थोड़े से दुख के झटके

कभी ज़िंदगी भी सहती थी |

लेकिन तुम थे साथ हमेशा

हँस हँस कर सह ली हर पीड़ा,

खत्म कर दिया चन्द पलों में

ख़ुद जो तुमने बंधन जोड़ा |

इतनी भी क्या ..........

**

अब पुरवैया भूल गई है

तुम बिन मन आँगन में आना |

कौन सवेरे रोज चुगाये

छत पर जा चिड़ियों को दाना |

कालू वीरू श्वान गली के

अब मेरी खाते दुत्कारें ,

गैया कमली आती है नित

लेकिन भूल गई रम्भाना |

और घोंसले सभी बया के

धीरे धीरे सारे गायब,

जीवों को भी पता चल गया

तुमने अब इस घर को छोड़ा |

इतनी भी क्या ..........

**

मकराना पत्थर से निर्मित

सूना घर का मंदिर है अब |

कौन उन्हें अब भोग लगाए

देवी देव प्रतीक्षा में सब |

घंटी स्वर खामोश हो गया

दीपक की भी खोई बाती,

रौली अगरू चन्दन माला

कौन रखे अब इनसे मतलब |

क्या भगवान कर रहा था तू

सोया था क्या जिस दिन उसको,

यम के दूत बुलाने आये

बना नहीं क्यों पथ में रोड़ा |

इतनी भी क्या ..........

**

रस्सा-कशी खेल था जीवन

एक तरफ का रस्सा छोड़ा |

इतनी भी क्या जल्दी थी जो

मीत अचानक नाता तोड़ा |

**

गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 640

Comment

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Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 2, 2019 at 6:31pm

विजय निकोरे जी आपकी स्नेहिल सराहना के लिए सादर आभार 

Comment by vijay nikore on September 2, 2019 at 4:23pm

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी , अच्छी रचना के लिए बधाई।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on August 29, 2019 at 10:43pm

आदरणीया pratibha pande जी सराहना के लिए सादर आभार एवं नमन | 

Comment by pratibha pande on August 29, 2019 at 9:44pm

भावुक करती रचना। लाजवाब शब्द चयन शब्द संयोजन और प्रवाह। हार्दिक बधाई आदरणीय

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on August 25, 2019 at 11:20pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब ,आपके आशीर्वचनों से कृतकृत्य हुआ ,सृजन सार्थक हुआ ,सादर आभार एवं नमन | 

Comment by Samar kabeer on August 25, 2019 at 3:56pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, अच्छा गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

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