For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यों चिंता की लहरें मुख पर आखिर क्या है बात प्रिये ? (५७)

एक गीत प्रीत का 
--------------------
क्यों चिंता की लहरें मुख पर आखिर क्या है बात प्रिये ? 
पलकों के कोरों पर ठहरी क्यों कर है बरसात प्रिये ?
**
शुष्क अधर क्यों बाल बिखर कर अलसाये हैं शानों पर ?
काजल क्रोधित होकर पिघला जा पहुँचा है कानों पर | 
मीत कपोलों पर जो रहती वह गायब है अरुणाई | 
ऐसा लगता है ज्यों खो दी चंद पलों में तरुणाई | 
सजना धजना भूल गयी सब और मलिन मुख हो बैठी 
क्या है दुख जो आज अचानक जागी सारी रात प्रिये ?
पलकों के कोरों पर ठहरी क्यों कर है बरसात प्रिये ?
**
पहला पहला प्यार ह्रदय में परिवर्तन तो आएगा | 
मन पंछी भी पंख पसारे उड़ने को अकुलाएगा | 
मीठा मीठा दर्द ज़रा सा हिय में नित्य उभरना है | 
प्रीत करो तो इस पीड़ा से तुमको मीत उबरना है | 
धीरे धीरे प्रीत-गगन विस्तारित होने दो तब तक 
संयम रक्खो प्रीत हमारी जब तक है नवजात प्रिये |
पलकों के कोरों पर ठहरी क्यों कर है बरसात प्रिये ?
**
आँसू के घन आतुर हैं जो उनको आज बरसने दो | 
सब कुछ भूलो केवल दिल में अपने प्रीत पनपने दो | 
सारे दुख सारी चिन्ताएँ मुझको तुम कर दो अर्पण | 
व्यर्थ नहीं हो पाए कोई प्रीत भरा हर सुन्दर क्षण |
सावन में यौवन को जी लें हम भरपूर ज़माने में 
नित नूतन अभिलाषाओं के खिलने दें जलजात प्रिये | 
पलकों के कोरों पर ठहरी क्यों कर है बरसात प्रिये ?
**
क्यों चिंता की लहरें मुख पर आखिर क्या है बात प्रिये ? 
पलकों के कोरों पर ठहरी क्यों कर है बरसात प्रिये ?
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी | 

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 473

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 30, 2019 at 5:14pm

आपकी सराहनात्मक  प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय तल से आभार एवं सादर नमन | बृजेश कुमार 'ब्रज जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 30, 2019 at 12:19pm
वाह बहुत ही खूबसूरत गीत है आदरणीय भावों से परिपूर्ण 
Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on August 25, 2019 at 2:56pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब ,

आपकी सराहनात्मक  प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय तल से आभार एवं सादर नमन |

Comment by Samar kabeer on August 25, 2019 at 2:13pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,बहुत सुंदर गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service