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OBO लाइव तरही मुशायरा (345)

Discussions Replies Latest Activity

प्रधान संपादक

ओबीओ लाइव तरही मुशायरा अंक-२६ में शामिल सभी ग़ज़लें

(श्री अशफाक अली गुलशन खैराबादी जी) सब्ज़ वादी में गुलशन की आया करो lरोज़ शबनम में तुम भी नहाया करो ll मेरी आंखें भी नम हैं तुम्हारी तरह lअश…

Started by योगराज प्रभाकर

17 Apr 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

प्रधान संपादक

"ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक २३ में सम्मिलित सभी ग़ज़लें (चिन्हित बेबहर मिसरों के साथ)

लाल रंग से चिन्हित शेअर/मिसरे बेबहर हैं नीले रंग से चिन्हित शेअर/मिसरे ऐब युक्त हैं ------------------------------------------------------…

Started by योगराज प्रभाकर

108 Apr 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २२ सभी ग़ज़लें एक साथ

(श्री तिलक राज कपूर जी)  सज्‍़दे में जो झुके हैं तेरे कर्ज़दार है दीदार को तेरे ये बहुत बेकरार हैं। मेरे खि़लाफ़ जंग में अपने शुमार हैं हम…

Started by Admin

26 Apr 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २०(सभी प्रविष्टियाँ एक साथ)

जनाब एहतराम इस्लाम  (मूल गज़ल)   अबके किस्मत आपकी चमकी नहीं तो क्या हुआ ऐश कीजे, धन तो है, कुर्सी नहीं तो क्या हुआ   आदमी का खून तो मिलने…

Started by Rana Pratap Singh

21 Apr 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा- अंक १९-सभी प्रविष्टियाँ एक साथ

मिलती है ख़ूए-यार[1] से नार[2] इल्तिहाब[3] में  काफ़िर हूँ गर न मिलती हो राहत अ़ज़ाब[4] में  कब से हूँ क्या बताऊँ जहां-ए-ख़राब में  शब-हा…

Started by Rana Pratap Singh

7 Apr 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

ओबीओ तरही मुशायरा अंक - १७ की सभी प्रविष्टियाँ (ग़ज़लें) संग्रहीत

सद्यः समाप्त हुए तरही-मुशायरा के अंक - 17 की सभी ग़ज़लों / ग़ज़लुमा रचनाओं और एक रुबाई को एक स्थान पर संग्रहीत कर पाठकों की सुविधा के लिये प्र…

Started by Saurabh Pandey

6 Apr 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

प्रधान संपादक

"ओबीओ लाईव तरही मुशायरा" अंक १६ में सम्मिलित सभी रचनाएँ

  //श्री राजेंद्र स्वर्णकार जी//       (१)   ज़िंदगी साज़ भी है , साज़ बजा कर देखो अपना  ग़म भूल के औरों को हंसा कर देखो      जलते दीयों…

Started by योगराज प्रभाकर

17 Apr 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

मुख्य प्रबंधक

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक १५ की सभी प्रस्तुतियां एक जगह...

श्री शेषधर तिवारी (१) दिल हमारा आज का अखबार होना चाहिए इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये इश्क हो या मुश्क, ये हर हाल में होता अयाँ खेल…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

31 Apr 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

प्रधान संपादक

"ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-१५ का लेखा जोखा

आदरणीय साथियो सादर वन्दे !ओबीओ के मंच पर २८ सितम्बर से ३० सितम्बर २०११ तक आयोजित "ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-१५ के संचालन का ज़िम्मा श्री र…

Started by योगराज प्रभाकर

8 Apr 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

प्रधान संपादक

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-१४ में शामिल सभी ग़ज़लें

(आचार्य श्री संजीव "सलिल" जी) (१)मेहरबानी हो रही है मेहरबान की.हम मर गए तो फ़िक्र हुई उन्हें जान की..अफवाह जो उडी उसी को मानते हैं सच.खुद ल…

Started by योगराज प्रभाकर

94 Apr 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

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"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
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"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
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"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
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