For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-101

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 101वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब खुमार बाराबंकवी  साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"आप अब और कोई काम करें "

2122     1212     22/112

फाइलातुन        मुफ़ाइलुन        फेलुन/फइलुन

(बह्र: खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तुअ )

रदीफ़ :-करें
काफिया :- आम( काम, नाम, इंतिज़ाम, एहतेराम, तमाम, आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 23 नवंबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 24  नवंबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 23 नवंबर दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 16556

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

इस इस्लाह के लिए बहुत बहुत आभार आ राजेश कुमारी जी, मैं इसमें सुधार कर लूंगा। इसीतरह मार्गदर्शन करते रहें 

जनाब विनय कुमार जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

इश्क़ बाटें और नेक काम करें '

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है,इसे यूँ कर सकते हैं :-

'इश्क़ को बाँटने का काम करें'

' बाद शोहरत का इंतज़ाम करें'

इस मिसरे का शिल्प कमज़ोर है,इसी कारण बात स्पष्ट नहीं हुई,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-

'हश्र का कोई इंतज़ाम करेें'

आख़री शैर के ऊला पर बहना का सुझाव उत्तम है ।

कृपया मुशायरे में सक्रियता दिखाएं ।

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम जनाब समर कबीर साहब, आपकी इस्लाह के अनुसार सुधार कर लूंगा। इसी तरह मार्गदर्शन करते रहिएगा, आभार

मुहतरम समर साहिब आदाब 

बहतरीन इस्लाह फ़रमाई आपने .....लेकिन 

"हश्र का कोई इंतिज़ाम करें "

ये मिसरा ख़ाकसार की ग़ज़ल का भी है 

आदरणीय समर साहब, 'इश्क़ को बाँटने का काम करें' तनाफ़ुर इस में भी है. वैसे तनाफ़ुर को शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी ने उचित रूप से 'गोरख धंधा' कहा है. क्या शायर कभी 'इश्क़ का' 'इश्क़ के' 'इश्क़ की' 'इश्क़ को' का प्रयोग करेगा ही नहीं ? 

// आदरणीय समर साहब, 'इश्क़ को बाँटने का काम करें' तनाफ़ुर इस में भी है//

इसमें तनाफ़ुर कैसे है?हुज़ूर-ए-वाला,कृपया स्पष्ट करें ।

तानाफ़ुर के नज़रिए से हसरत मोहानी ने 'क़' और 'क' को एक ही तरह की ध्वनियाँ माना है. इस लिहाज़ से 'इश्क़ को' में स्पष्ट रूप से तनाफ़ुर है. ये स्पष्ट कर दूं कि ये हसरत मोहानी का नज़रिया है मेरा अपना नहीं. 

'इश्क़' शब्द के अंत में "क़" है और "क" दोनों में ध्वनि का अंतर साफ़ है,अतः ये मेरी नज़र में तनाफ़ुर नहीं । शुक्रिया ।

ऊपर मैंने हसरत के तनाफ़ुर के ख्याल के बारे में शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी साहब की राय लिखी है वो बहुत हद तक सही है. सिर्फ़ 'क़' और 'क' का ही मामला नहीं है. तनाफ़ुर का पूरा ख़याल ही एक गड़बड़झाला है.  

दुरुस्त है,लेकिन ये सीखने सिखाने का मंच है,इसलिए यहाँ इस दोष को इंगित करना हमारी ज़िम्मेदारी बन जाती है ।

ओबीओ पर इस विषय पर " ग़ज़ल की बातें" समूह में एक आलेख मौजूद है,जिसमें हसरत साहिब और फ़ारुक़ी साहिब के कोटेशन भी हैं,समय मिले तो देखियेगा ।

मेरे ख्याल से आपका संकेत इस आलेख की तरफ़ है :

http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5...

इसे पढ़ने से भी यही पता चलता है कि फ़ारूक़ी साहब की राय बिलकुल ठीक है. 

इसके अलावा एक और है, किसी 'नीरज' जी का है ।

फ़ारूक़ी साहिब की बात से इंकार नहीं,लेकिन जैसा मैंने अर्ज़ किया था कि ये सीखने सिखाने का मंच है,इसलिए इंगित करना पड़ता है ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service