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मोहतरमा नीता सैनी साहिबा , ,उत्साहवर्धक कमेंट्स और हौसलाअफजाई का तहे दिल से शुक्रिया, मेहरबानी। ......
प्रस्तुति एवं सहभागिता केलिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तस्दीक साहब
अच्छी लघुकथा हुई है, बधाई जनाब.
अमन ख़ान 'अमनपरस्त'
एक बड़े और खतरनाक मंसूबे के साथ मुल्क में दाखिल हुआ वह।पूरी तरह प्रशिक्षित था।शातिर भी और बेहद चालाक भी।पैसों और हथियारों का भी उसके लिए पूरा बन्दोबस्त था।मुल्क में आकर काफी लम्बा समय गुज़ारा और मुल्क के अलग-अलग हिस्सों में अपने सिपाही तैयार किए।मुल्क के ख़ुफ़िया तन्त्र को अंदेशा हुआ तो गुप्त रूप से उसके पीछे पड़ गया और वह कारनामे को अंजाम दे पाता,उससे पहले ही पकड़ा गया।हिरासत में -
"तुम लोग कौन हो?"
"हम हैं मज़हब के सिपाही।" बेफिक्र अंदाज़ में बोला।
"अच्छा!चाहते क्या हो तुम लोग?"
"पूरी दुनिया को एक रंग में रंगना।"
"एक रंग में रंगना..?कौन से रंग में रंगना चाहते हो तुम दुनिया को?"
"हरे रंग में।" उसकी आँखों में चमक थी।
"ये कौन सा तरीका है तुम्हारा ?"
'"हमारा यही तरीका है और बा ख़ुदा हम इसी तरीके से अपने मकसद में कामयाब होंगे।"
"तुम दुनिया को हरे रंग में नहीं लाशों और घायल जिस्मों से रिसते हुए खून के लाल रंग से रंग रहे हो।क्या तुम्हें ऐसा नहीं लगता?"
"हा हा हा हा यह तुम्हारा नज़रिया है।"
"तो तुम लोगों का नज़रिया क्या है?"
"हरे रंग के फैलाव और हिफाज़त के लिए लाल रंग के छींटे जरुरी हैं।फिर वे दूसरे लोगों के जिस्म से हों या हमारे ।"
"पर हम लोग ऐसे कारनामों में तुम जैसों को क़ामयाब नहीं होने देंगे।"
"अरे साहब!हम लोग क़ामयाब भी आप ही के मुल्क के बाशिंदों की मदद से ही होते हैं।"
"मतलब?"
"हम जैसों का किसी भी मुल्क में आसानी से घुसना उस मुल्क की सरहदों के निगेबानों की मदद से ही होता है।बेरोजगारी और जल्दी पैसा कमाने की ललक नोजवानों को स्लीपर सेल बनाने में हमारी मदद करता है।"
"कुछ भी हो। अगर यहाँ कुछ लोग जैसा तुम बता रहे हो ऐसे हैं तो मुल्कपरस्ती भी यहां जर्रे-जर्रे में कायम है।पकड़े गए न तुम और तुम्हारे स्लीपर सेल।"
"हाँ पकड़े गए।पर हरे रंग को कायम करने की यह जंग और उसका दौर खत्म नहीं हुआ।जब तक ये रंग जहां में कायम नहीं हो जाता हम न चैन से बैठेंगे और न हुकूमतों को बैठने देंगे।"
"नाम क्या है तुम्हारा?"
"अमन ख़ान 'अमनपरस्त'।"
"हैंsssss! किसने रखा यह नाम?"
"हमारे नेक दिल वालिद साहब ने रखा था।"
"हमें नहीं लगता कि तुम सब हरे रंग को ही कायम करने के लिए यह सब कर रहे हो।क्योंकि जिन मुल्कों में हरा रंग कायम है तुम लोग सबसे ज़्यादा उनके ही अमन और चैन को ख़ाक किए जा रहे हो।क्या तुम्हें ऐसा नहीं लगता?"
वह निःशब्द था।
मौलिक एवम् अप्रकाशित।
जनाब सतविंदर कुमार साहिब , रंग पर आधारित अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
रंगो कइ खेल में अमन हamesha भारी पड़ा ....बहुत खूब बुनी कथा आपने बधाई।
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