आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
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हार्दिक बधाई आदरणीय बबिता जी !बेहतरीन प्रस्तुति!मुझे लगता है कि अंत में "नहीं नहीं" की जगह शायद "नई नई" लिखने में आगया है!
आदरणीया बबिता जी, आपने बहुत सधी कलम चलाई है. बेहतरीन लघुकथा. हार्दिक बधाई.
वाह नीता जी क्या बढिया तंज कसा आपने -" जैसे इधर तुम सब कुछ ठीक कर लेती हो, उसी तरह अपनी रेनू भी दाल नहीं गलने देगी।''
बधाई आपको इस रचना के लिये
मोहतरमा नीता साहिबा , प्रदत्त विषय को दर्शाती अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
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