आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय सौरभ सर प्रदत्त विषय को आपने बड़ी ही मार्मिकता का पुट देते हुए वर्तमान के नंगे सच को साकार किया है। यही होता है यथार्थ जयकारों की गूँज में दफन हो जाता है। सच की रूह बिक जाती है। तमाशबीन तमाशा देखकर अपना फ़र्ज़ निभाते हैं तमाशा करने वाले आँखों पर काला चश्मा लगाकर अपने अधर्म पर भी जयकारे लूट कर ले जाते हैं। इस बेहद कसी हुई लघु कथा के लिए हार्दिक हार्दिक बधाई सर जी।
आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी संवेदना से आप्लावित हुआ. हार्दिक आभार !
अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सतविन्द्र जी.
आज की राजनीति का पेन्डुलम की तरह इधर उधर होता चरित्र , और राष्ट्रपिता की तस्वीर का हिलना ,बहुत सशक्त बिम्ब हैं आपकी रचना में हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर
आपकी गुण-ग्राहकता के लिए हृदयतल से आभार, आदरणीया प्रतिभाजी.
सादर
aadrniy katha me garib ke atam samman ko sahi se chitran kar sabhi tamashbino ke muh par chapet marne ka kaam kiya hei
gandhiji to bas apni atma ko hi koste hoge des ke haal dekh kar
आपके कहे को मैं हृदय से स्वीकारता हूँ, आदरणीय राजेन्द्र गौड़ साहब.
सादर
जब जरुरत हो तब कोई नहीं और सब ख़त्म होने के बाद ये दिखावा| आजकल बहुत आम है ये राजनीति में भी और समाज में भी, गांधीजी का प्रतीक बहुत सटीक है रचना में| बधाई आपको इस रचना के लिए
आपकी गुण-ग्राहकता से अभिभूत हूँ आदरणीय विनय कुमारजी. हार्दिक धन्यवाद
मोहतरम जनाब सौरभ साहिब , सच कहा है आपने जीतेजी तो गरीब की तरफ कोई नहीं देखता मगर मरने के बाद सियासतदानों को सियासत करने के लिए उसके परिवार की याद आती है , राजनीति पर कटाछ करती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
अनुमोदन केलिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |