आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
~तमाशबीन~
सुधा और अलका दोनों पड़ोसी एक दूजे के सुख दुःख में हमेशा साथ होते । सुधा की बिटिया जब-जब बिमार पड़ती, अलका का कन्धा उसे हमेशा सुकून देने को तैयार रहता।
अचानक एक दिन बिटिया का इंतकाल हो गया । बहुत भीड़ इकट्ठा हुई। दो दिन बाद जब अलका सुधा के घर आई तो उसको देखते ही सुधा फफक कर बोली, "मेरे दुःख में तू भी छोड़ दी मुझे अकेला। ""अरे नहीं , उस दिन की भीड़ देख मुझे लगा तेरे अपने तो बहुत है । वो सब तेरा दर्द बाँट रहें होंगे। "अरे नहीं , उस दिन की भीड़ देख मुझे लगा तेरे अपने तो बहुत है । वो सब तेरा दर्द बाँट रहें होंगे। "
"अरे नहीं , उस दिन की भीड़ देख मुझे लगा तेरे अपने तो बहुत है । वो सब तेरा दर्द बाँट रहें होंगे। "
"कहा रे , सब को जरुरी काम ! समय कहाँ किसी के पास जो दो घड़ी दुःख बांटते मेरा। सब के सब तमाशबीन थे उसी दिन चले गए ।
अच्छी लघुकथा है सविता मिश्रा जी, बधाई स्वीकारें I आपने रचना के नीचे "मौलिक और अप्रकाशित" क्यों नहीं लिखा ?
//"अरे नहीं , उस दिन की भीड़ देख मुझे लगा तेरे अपने तो बहुत है । वो सब तेरा दर्द बाँट रहें होंगे। "// यह पंक्ति तीन बार क्यों लिख दी ?
आदरणीय भैया आज यअहाँ लिख न पा रहे थे । शब्द गड्ड मड्ड हो रहे थे। बड़ी मउश्किल से व्अहट्स एप्प पर लईख यआहा कआपी करें .....कॉपी भी न हो रहा था । एक एक लाइन हअमे कॉपी करनी पड़ी अतः दोहराव हो गया होगा । हमें परेशानी में दिखा न और मओलिक लिखना भी ध्यान न रहा। सादर नमस्ते भैया
बहुत सुंदर कथा हुई है आदरणीया सविताजी | हार्दिक बधाई |
आभार आप सभी कअ जो अआप सब ने हमारी कथा को अपना महत्वपूर्ण समय दिया। पुनः शुक्रिया सबका ।
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक 13 को अपनी प्रतिभागिता से सफल बनाने हेतु आप सभी विद्वान साथिओं का हार्दिक धन्यवाद I
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |