आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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मोहतरमा अर्चना साहिबा , प्रदत्त विषय पर आधारित सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
बुजुर्गों से पीछा छुड़ाने के लिए ये चालाकी ,वाह रे कलियुगी संतान , द्रवित कर रही है आपकी ये रचना , बधाई स्वीकार करें आदरणीय अर्चना जी
अपनी संतान का जीवन बनाने में सारी ताकत लगा देने वाले बुजुर्ग सहते ही रहते हैं जो की अत्यंत दुखद हैं। बधाई आपको इस रचना के लिए
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