आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
गहन तर्क,वितर्क अंततः जनता ही दोषी ।बहुत बढ़िया शहजाद जी बधाई ।
आदरणीय उस्मानी जी, सुन्दर कथा कही है. सादर.
आ. उस्मानी जी रचना की बुनावट तो उम्दा और प्रवाहमयी है. प्रतिकात्मक शैली की रचना अपना कथ्य तो कहने मे सक्षम है लेकिन सारे दोषो के कसूरवार होने का ठिकरा जनता पर मढ के अलग होती सी प्रतीत हुई. यह बात सही है कि जो दिखया जा रहा उसे हम देखने के लिये मजबूर नही है लेकिन बार बार आँखो के सामने वही-वही अश्लिल दृष्य दिखाना कहा कि मजबूरी है. बहूत गहन परिचर्चा का विषय है यह जो लंबी टिप्पणी मे बदल जाएगा. बहरहाल प्रवाहमयी सृजन के लिये बधाई प्रषित है.
शानदार कथा हुई है आदरणीय शहजाद भाई बधाई स्वीकारें |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |