आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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कथा के मर्म को समझ कर उत्साहवर्धक टिपण्णी के लिए बहुत बहुत आभार आपका
//"माँ, मैं कल जा रहा हूँ, आता जाता रहूँगा आप लोगों के पास"//
क्या कहने हैं भ़ाई विनय कुमार सिंह जी, बधाई प्रेषित है I
कथा के मर्म को समझ कर उत्साहवर्धक टिपण्णी के लिए बहुत बहुत आभार आपका आ योगराज सर
बेहद सुन्दर लघुकथा भाई विनय कुमार सिंह जी, बधाई स्वीकारें
आदरणीय विनय कुमार सिंह जी सर, अपने बेटे को दूसरे के बेटे की गलत हरकत की बात कहकर बची हुई विरासत सम्भाल कर रखने का गूढ़ सन्देश देने वाली रचना के सृजन पर बहुत-बहुत बधाई स्वीकार करें|
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