आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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सच है , हमारे समाज की बढती हुई संवेदनहीनता को देखकर तो यम दूत भी चकरा जाएँ ..कथानाक आपने अच्छा चुना है जिसके लिए आपको बधाई प्रेषित है आदरणीय उस्मानी जी ,अंत थोड़ा सा अस्पष्ट है ...
मोहतरम जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब ,प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
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