आदरणीय साथिओ,
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विनम्र आभार आदरणीय।
बंटवारे ने कितनों को ही बेघर कर दिया और कितनो को अलग थलग, इस दर्द को बढ़िया तरीके से दर्शाया आपने आ, बधाई इस रचना के लिए
विनम्र आभार आदरणीय।
विनम्र आभार आदरणीया।
विनम्र आभार आदरणीय।
विनम्र आभार आदरणीय।
मैं पंजाबी भाषी हूँ, मगर उस सरदार जी ने क्या कहा मुझे कुछ समझ नहीं आयाI सादरI
(मनस्ताप का क्या अर्थ है सर?)
महोदय , मनस्ताप = मन की पीड़ा। सरदारजी को लाहौर से पलायन करना पड़ा और वे इतना पढ़लिख नहीं पाए कि बच्चों को उनकी चाहत के अनुसार किस्से कहानियां भी सही ढंग से सुनाकर उन्हें खुशियां दे सकें। यही उन्होंने अंत में कहना चाहा है। सादर।
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