आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक बधाई आदरणीय विजय जोशी जी। सुन्दर लघुकथा। मगर मुझे ऐसा लगता है कि यह लघुकथा मैंने पहले भी पढ़ी है।सादर।
खोखले जीवन मूल्य और रिश्तों के इर्दगिर्द बुना हुआ सुन्दर ताना बाना ...हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय
अच्छी लघुकथा हुई है भाई विजय जोशी जी, बधाई स्वीकार करेंI कुछ संवाद इंवर्टटेड कौमास में नहीं हैं, उन्हें ठीक कर लेंI
आदरणीय विजय जोशी जी इस मर्मस्पर्शी सुन्दर लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें
त्योहारों की वजह से प्रविष्टियों की संख्या भले ही इस बार काफी कम रही हो लेकिन 2 दिन में 22 लघुकथाओं का आना और उन पर चर्चा होना मामूली बात नहीं थीI अत: मैं "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक 19 को सफल बनाने हेतु सभी आदरणीय साथिओं का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँI
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