For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ लखनऊ-चैप्टर की मासिक गोष्ठी माह जून 2015 का संक्षिप्त विवरण –डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

             दिनांक 22 -06 -2015 को ओ बी ओ लखनऊ-चैप्टर की मासिक गोष्ठी माह जून 2015 रोहतास एन्क्लेव, फैजाबाद रोड, लखनऊ में सांय 6.00 प्रारम्भ हुयी I गोष्ठी के प्रथम चरण में महनीया कुंती मुख़र्जी ने “माँरीशस –महासागर से घिरा एक नन्हा भारतवर्ष” विषय पर अपना आख्यान प्रस्तुत किया और माँरीशस के विहंगम दृश्यों को प्रोजेक्टर के माध्यम से बड़े परदे पर साक्षात कर उपस्थित विद्वानों और ज्ञान जिज्ञासुओं को आप्यायित किया I माँरीशस के परिचित कराते हुए कुंती जी ने बताया कि पृथ्वी की “प्लेट्स” के चलते रहने के कारण समुद्रतल से ज्वालामुखी फूटकर सैकड़ों द्वीप बने I द्वीप संरचना के इस क्रम में आज से लगभग 80 लाख वर्ष पहले इसी प्रकार यह द्वीप अस्तित्व में आया था  I माँरीशस से मात्र 176 कि0मी0 पश्चिम में स्थित रेनिओ (REUNION) द्वीप  में आज भी ज्वालामुखी फूटता है I यह नन्हा सा देश चारो और समुद्र से घिरा हुआ एक टापू है, जिसका कुल क्षेत्रफल 2040 कि0मी0 है और आबादी मात्र 13 लाख के आस-पास है  I आबादी के बारे में कुंती जी ने एक आश्चर्यजनक और अनुकरणीय बात यह बताई कि माँरीशस की आबादी प्रायशः स्थिर है I इससे सारी विश्व को सबक लेना चाहिए I भौगोलिक दृष्टि से माँरीशस भारत के गोवा तट से यह लगभा 4500 कि0मी0 दूर दक्षिण-पश्चिम में अवस्थित है I  आ0 कुंती ने यहाँ के डोडो पक्षी के बारे में जानकारी दी जो न केवल दिखने में सुन्दर था अपितु इसका मांस भा बड़ा स्वादिष्ट था और उसकी यही विशेषता उसके विलुप्त हो जाने की वजह बनी I आज माँरीशस में एक भी डोडो पक्षी नहीं है I

       आ0 कुंती ने बताया की माँरीशस में लोग हिन्दी बोलते है और हिन्दी- भाषियों को ही पसंद करते हैं I वहां के तिलक विद्यालय में 12 जून 1925 को

“हिन्दी प्रचारिणी सभा“ की स्थापना हुयी, जिसके पहले अध्यक्ष मुक्ताराम चटर्जी थे I इसके बाद 9 दिसम्बर 1961 के दिन डा0 मुनीश्वरलाल चिंतामणि ने “हिन्दी लेखक संघ” की स्थापना की I  विश्व हिन्दी सचिवालय भी माँरीशस में ही है I   

             आ0 कुंती ने माँरीशस के प्रख्यात कवि अभिमन्यु अनत ‘शबनम’ की एक कविता भी सुनायी जिसका एकांश निम्न प्रकार है-  

तुम्हारे पास पुलिस है, हथकड़ियाँ हैं

लोहे की सलाखोंवाली चारदीवारी है

मुझे गिरफ्तार कर  चढ़ा दो सूली

उस माला को रस्सी बनाकर जो कभी तुम्हे पहनाया था

क्योंकि मैंने तुम्हारे ऊपर के विश्वास की ह्त्या कर दी है

इस जुर्म की  सजा मुझे दे दो .

        कार्यक्रम के प्रथम सत्र के स्फीत हो जाने से द्वतीय सत्र में काव्य पाठ का अवसर कम रहा पर श्री केवलप्रसाद ने अपने दोहों से लोगों को रस सिक्त किया –

   वर्तमान सबसे अधिक मूल्यवान अति ख़ास

   हर इक पल परमार्थ में फलता सत्य उजास

 

  जब उन्नति पर ध्यान नहि तभी पतन की ओर  

  जीवन सत्यम तुला सम ,  करती कभी न शोर               

आ0 ब्रह्मचारी जी ने अपने कालेज के जमाने की एक पुरानी  कविता “निर्झर कहता है “ के कुछ अंश सुनाये-

           चट्टानों से टकराता निर्झर

                       है पीछे कभी न आता पर

            वह अपना मार्ग बनाता है

                       नित पर्वत पर बह-बह कर

       दम्भी मानव तो सूर सूर  नित अपने अघ में चूर चूर

       विनम्र मनुज तो रह्ता है    हर दम  अघ से दूर दूर

          अंत में डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव ने अपनी एक गजल सुनायी , जिसमें आध्यात्मिक संकेत भी  विद्यमान थे –

              हम किसी से मिलने उसके घर नहीं जाते

               आप भी है जिद में मेरे दर नहीं आते  

 

               बेबसी महबूब की किस तरह समझायें

              आज भी उनको मिरे चश्मेतर नहीं भाते

 

              इश्क में हूँ जाँबलब  मेरा भरोसा क्या

              फ़िक्र उनको कब है चारागर नहीं लाते   

   

          अंत में संयोजक शरदिंदु के आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ I

                                                                                             ई एस-1 /436, सीत़ापुर रोड योजना कालोनी

                                                                                                     अलीगंज, सेक्टर-ए ,लखनऊ  

(मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 1543

Reply to This

Replies to This Discussion

सफल आयोजन की हार्दिक बधाई 

सादर आभार .

एकनिष्ठ समर्पण और सदस्यों की सतत उपस्थिति अदम्य विश्वास का द्योतक है. अदरणीय शरदिन्दुजी से जैसी कि सूचना मिली थी, आदरणीया कुन्तीजी का स्वास्थ्य एकदम अच्छा नहीं था. इसके बावज़ूद आपका पहले सत्र में व्याख्यान मासिक आयोजन के प्रति आपकी संलग्नता ही दिखाता है. मॉरीशस के बारे जानना सदा से आकर्षित करता है. यदि मैं लखनऊ में होता तो अवश्य गोष्ठी में सम्मिलित होता.
सभी उपस्थित सदस्यों को धन्यवाद और मासिक गोष्ठी को सफल करने केलिए बधाइयाँ.
हार्दिक शुभकामनाएँ.

आ० सौरभ जी

महनीया कुंती जी के आख्यान से अनुप्रानित होकर मैंने मारीशस पर एक आलेख और लिखा है और अभी 'मारीशस में हिन्दी' विषय पर लिखने का विचार कर रहा हूँ . सादर .

आदरणीय गोपालनारायनजी, प्रभावित होना एक बात है और तथ्यात्मक बातों की जानकारी और ज़मीनी हकीकत एक बात. मॉरीशस देश की प्रारम्भिक प्रचलित भाषा भोजपुरी है जो प्रशासन द्वारा सम्मत भाषा है तथा स्थानीय स्तर पर क्रियोल बोली जाती है. फ्रेंच शासकीय भाषा है. विश्वास है, इन भाषाओं के बीच के सामंजस्य और खींचतान को आप समझने का प्रयास करेंगे. 

अभिमन्यु अनत मॉरीशस के हिन्दी सहित्य के एक बहुत बड़े नाम हैं. आपने शबनम को उनके उपनाम की तरह जोड़ा है. मुझे याद नहीं आता कि अभिमन्यु अनत ने अपना कोई तख़ल्लुस रखा था. आप मॉरीशस के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें. मॉरीशस एक देश ही नहीं एक मनोवैज्ञानिक तौर पर एक क्लिष्ट इकाई है.
आपकी रपट में रियूनिअन (रियूनियों) का ज़िक्र है. आदरणीय कुन्तीजीने सही कहा होगा कि वहाँ सक्रिय ज्वालामुखी हैं लेकिन यह भी सत्य है कि वह फ्रांस के अधिपत्य में एक बहुत ही छोटा किन्तु बहुत ही खूबसूरत सुव्यवस्थित संप्रभू देश है. ऐसे विन्दुओं को रपट में जोड़ना उचित होता है ताकि एक सही तस्वीर सामने आये.
सादर

आदरणीय सौरभ जी

'शबनम' तखल्लुस को लेकर मुझे भी शंका थी पर मैंने उनका  यह तखल्लुस कई बार पढ़ा है  और एक विद्वान् से चर्चा भी हुयी अतःयह सत्य ही भासता है  i आगे इसकी अधिकाधिक  पुष्टि करूंगा. सादर.  

आदरणीय गोपालनारायनजी, आपकी टिप्पणी के आलोक में जिज्ञासा मेरी भी बढ़ी. कारण कि अभिमन्यु अनत की कई रचनाओं (कहानियों और धारावाहिकों) तथा मरीशस पर रिपोर्ताज़ को हमने ’धर्मयुग’ में पढ़ा है. तब यह उपनाम कभी नहीं था. फिर उनकी कुछ और कृतियाँ पढ़ने का सौभाग्य मिला लेकिन यह उपनाम इतनी शिद्दत से सामने नहीं आया, जिस तरह से अकसर उपनाम साहित्यकारों के नाम के साथ चस्पां हुआ करते हैं. मैंने भी इस ओर अधिक ध्यान नहीं दिया कभी.
लेकिन इधर खोजबीन करने के क्रम में यह जानकारी मिली कि अभिमन्यु अनत ने अपना उपनाम भी रखा है - ’शबनम’ ! भले ही वे स्वय़ं इसके प्रति उतने आग्रही न रहे हों.
इस हिसाब से आप द्वारा दीगयी सूचना सही है.

आदरणीय  सौरभ जी

आपके अनुमोदन का सादर आभार .

अच्छा लगा ओबीओ मासिक गोष्ठी लखनऊ के आयोजन के विवरण को पढना । बधाई आपको आयोजन के सफलता के लिए । नित नये मुकाम को आप सब हासिल करते रहे और ओबीओ का नाम रौशन होता रहे । सादर नमन

आ० कांता जी

सादर  आभार

आ. गोपालनारायण जी ,,ओबिओ  की एक और सफल मासिक गोष्ठी पर आपको ,हार्दिक बधाई ,काव्य पाठ का अवसर कम मिला ये थोड़े दुःख की बात है ,,बाकि सब अच्छा रहा |

आदरणीय  महर्षि  जी

काव्यपाठ का भरपूर अवसर मिलता है . केवल इस बार इस बार मारीशस का चर्चा  हावी रही . सादर.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
yesterday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service