आदरणीय साथिओ,
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सदैव टीप टॉप दिखने वाली कामकाजी महिला का जीवन किन दो पाटों के बीच पिसता है उसका एहसास सिर्फ उसी को होता है जहाँ एक तरफ घर गृहस्थी की जिम्मेदारियों पर खरा उतरना दूसरी और अपनी नौकरी का अनुशासित जीवन दोनों को सँभालते सँभालते अंदर से कितनी एकाकी हो जाती है स्त्री के उसी एहसास को जीती ये लघु कथा बहुत पसंद आई बहुत बहुत बधाई प्रिय जानकी जी
मुहतरमा जानकी साहिबा , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती, लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ---
वाह, बहुत सूंदर रचना प्रदत्त विषय पर| बहुत बहुत बधाई आपको
क्या कहने हैं जानकी जी, वाह वाह वाह !! सुन्दर, सरस और सारगर्भित लघुकथा है, एक भी शब्द न तो अतिरिक्त है और न ही कमI आनंद आ गयाI आपके लेखन में आई इस प्रौढ़ता ने मन जीत लिया हैI लाजवाब लघुकथा रची है, बहुत बहुत बधाई प्रस्तुत हैI
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